टीम इंस्टेंटखबर
यूपी विधानसभा चुनाव के दिन जैसे जैसे नज़दीक आ रहे, गठबंधनों की चर्चाएं भी चरम पर पहुँचती जा रही हैं. दिलचस्प बात यह है कि इसबार के होने वाले चुनाव में मुख्य विपक्षी पार्टियां आपस में गठबंधन के कड़वे तजुर्बों से सबक सीखते हुए सिर्फ छोटे दलों से गठजोड़ की बात कर रही हैं. प्रदेश में अपना वजूद तलाश रही कांग्रेस पार्टी भी यही राग अलाप रही है भले ही उससे गठबंधन की बात थोड़ी सी भी हैसियत रखने वाला कोई छोटा दल नहीं कर रहा है.

कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने भी आज कहा कि उनकी पार्टी केवल छोटे दलों के साथ गठबंधन करेगी और चुनावों के लिए किसी बड़े दल से हाथ मिलाने के बारे में “विचार भी नहीं करेगी.” उन्होंने कहा कि पिछले 32 वर्षों में उत्तर प्रदेश पर शासन करने वाली भारतीय जनता पार्टी, बसपा और सपा की सरकारें लोगों के भरोसे पर खरा उतरने में नाकाम रहीं और कांग्रेस राज्य में वापसी करने के लिए तैयार है.

कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष ने एक इंटरव्यू के दौरान ने कहा कि उत्तर प्रदेश के लोगों की नजरों में, अगले वर्ष होने वाले चुनावों में भाजपा को चुनौती देने वाली मुख्य पार्टी कांग्रेस ही है और भरोसा जताया कि पार्टी प्रियंका गांधी वाड्रा के नेतृत्व में चुनाव जीतेगी और अगली सरकार का गठन करेगी.

उत्तर प्रदेश चुनावों के लिए गठबंधनों पर कांग्रेस के रुख के बारे में पूछे जाने और सपा एवं बसपा के साथ गठबंधन की किसी संभावना पर उन्होंने कहा, “गठबंधनों पर कांग्रेस का रुख साफ है, हम केवल छोटे दलों के साथ गठबंधन करेंगे. हम फिर से बड़े दलों के साथ गठबंधन करने के बारे में विचार भी नहीं करेंगे.”

पिछले 32 वर्षों में गैर कांग्रेसी सरकारों के कुशासन की बात करने वाली कांग्रेस की पुस्तिका को लेकर सपा और बसपा की प्रतिक्रिया की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि साफ है कि गरीबों, किसानों, युवाओं और महिला सुरक्षा के मुद्दे पर “हम छोटे दलों के साथ गठबंधन करेंगे.”

गौरतलब है कि सपा और बसपा दोनों ने कांग्रेस के साथ गठबंधन से इनकार किया है. जहां सपा के अखिलेश यादव ने कहा है कि उनकी पार्टी केवल छोटे दलों के साथ गठबंधन करेगी, वहीं मायावती ने कहा है कि बसपा अकेले चुनाव लड़ेगी.