आल इंडिया उलमा व मशाइख बोर्ड और तंज़ीमुल मदारिस जम्मू कश्मीर के तत्वाधान में ज़ोरा ज़िला शोपियान, कश्मीर में सूफी सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें पुलवामा, शोपियान और अन्य क्षेत्रों के दर्जनों उलमा, मशाइख और प्रमुख हस्तियों के अलावा स्वयंसेवकों, कार्यकर्ताओं और अवामे एहले सुन्नत ने भाग लिया ।
आल इंडिया उलमा व मशाइख बोर्ड के संस्थापक, अध्यक्ष व वर्ल्ड सूफी फोरम के चेयरमैन हजरत सय्यद मोहम्मद अशरफ किछौछवी ने कहा कि आज लोग धन की प्राप्ति को कामयाबी मानते हैं, लेकिन क़ुरआन पाक ने कामयाबी दिलों की सफाई और तज़किया को क़रार दिया है, खुदा का फरमान है कि कामयाब वह है जिसने अपने दिल को पवित्र कर लिया और जिसने दिल को पापों से प्रदूषित किया वह नाकाम रहा। आपने कहा कि सभी सामाजिक बुराइयों की जड़ हृदय रोग है, जैसे ईर्ष्या, लालच, अहंकार, स्वार्थ, आदि। जब यह बुराइयां किसी के दिल में घर कर जाती है तो भीतर की दुनिया अँधेरी हो जाती है, इसलिए हर हाल में दिल की पवित्रता का ध्यान रखना चाहिए।
उलमा मशाइख बोर्ड का परिचय देते हुए मौलाना मक़बूल अहमद सालिक मिस्बाही ने कहा कि बोर्ड बिना किसी भेदभाव के पूरे भारत के सूफी विद्वानों का संगठन है और इसमें जम्मू-कश्मीर के सूफी और विद्वान भी शामिल हैं, उन्होंने कहा कि कश्मीर के सूफियों का संबंध सीम्नां के सादात से है और हज़रत सय्यद मखदूम अशरफ जहांगीर भी सीम्नां से आए, इस तरह किछोछा और कश्मीर का बड़ा गहरा संबंध है।
मौलाना गुल मोहम्मद कश्मीरी फ़ाज़िल जामिया अज़हर, मिस्र ने अरबी में भाषण दिया जिसमें कहा कि बोर्ड के अध्यक्ष हज़रत अशरफ मियां हमारे लिए रोल मॉडल हैं, हमें हज़रत के मार्गदर्शन पर चलना चाहिए, उनके बैनर तले अपनी समस्याओं का समाधान करना चाहिए। मौलाना अज़ीम अशरफ ने बोर्ड के लक्ष्यों और उद्देश्यों और सदस्यता के महत्व से अवगत कराया।
इस अवसर पर मौलाना जुबैर अहमद खान इब्ने मुश्ताक अहमद खान, तन्ज़ीमुल मदारिस के उपाध्यक्ष और मुश्ताक मेमोरियल ट्रस्ट, अनंतनाग कश्मीर के अधीक्षक, तंजीमुल मदारिस खानकाह बडगाम कश्मीर बोर्ड के अध्यक्ष पीर हमीदुल्ला हक़्क़ानी साहब को हजरत सय्यद मोहम्मद अशरफ किछौछवी के हाथों पुरस्कार से सम्मानित किया गया और बोर्ड के अध्यक्ष हज़रत अशरफ मियां को दुनिया भर में सूफीवाद को बढ़ावा देने और अन्य कल्याणकारी सेवाओं के लिए तंज़ीमुल मदारिस एहले सुन्नत सूफी जम्मू कश्मीर की जानिब से शैखुल आलम पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
मौलाना मोहम्मद माशूक़, मौलाना गुलाम मुस्तफा अशरफी, मौलाना तुफैल, हाफ़िज़ अहमद, मौलाना मुहम्मद अशरफ, मौलाना मुफ्ती फारूक हुसैन मिस्बाही, मौलाना हाफिज मोहम्मद, नसीरुद्दीन राजौरी, मौलाना कारी मंजूर हुसैन मौलाना गुलाम मोहम्मद रिजवी मौलाना नसीरुद्दीन नक्शबंदी, हाफ़िज़ मुज़फ्फर अहमद तेली, मौलाना हाफ़िज़ असगर हुसैन क़ादरी, हाफ़िज़ तय्यब हुसैन, मास्टर मुश्ताक़ अहमद आदि ने कांफ्रेंस में भाग लिया।
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