ज़ीनत शम्स

ज़ीनत शम्स

कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन से श्रमिकों की जो दुर्दशा है उससे योगी सरकार पूरी तरह घिर चुकी है| केंद्र सरकार ने लॉक डाउन करने से पहले प्रवासी श्रमिकों के लिए कोई योजना नहीं बनाई और काम बंद होने के कारण सारे श्रमिक सड़कों पर आ गए | यातायात के साधन बंद हो गए, काम बंद हो गया तो मज़दूर, महिलाऐं, बच्चे सब पैदल ही अपने घरों की ओर चल पड़े| सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर मज़दूर अपने घरों को पहुंचे, रास्ते में सैकड़ों मज़दूर मारे गए लेकिन सरकार ने सभी मानवीय मूल्यों को ताक पर रख दिया और इन बेसहारा मज़दूरों की कोई मदद नहीं की| यह मज़दूर पैदल ही पैरों में छालों और रिस्ते खून साथ चलते रहे और उदासीन सरकार उदासीन ही बनी रही | ऐसे मौके कांग्रेस एक ज़िम्मेदार राजनीतिक पार्टी का धर्म निभाते हुए मज़दूरों की मदद को आगे आयी और योगी सरकार से इन मज़दूरों को घर पहुँचाने के लिए एक हज़ार बसों को चलाने के लिए अनुमति मांगी| किन्तु सरकार नित नए बहाने बनाने में लगी रही और बसें नहीं चलाई गयीं क्योंकि योगी सरकार को लग रहा था कि अगर कांग्रेस को इसकी अनुमति दी गयी तो इसका उसे भारी राजनीतिक नुक्सान होगा |

प्रदेश में बसों की कोई कमी नहीं है | सरकारी, प्राइवेट और स्कूली बसें मिलाकर कुल पचास हज़ार बसें प्रदेश में धूल खा रही है लेकिन सरकार श्रमिकों की मजबूरी में भी राजनीति कर रही है और मदद के लिए उठने वाले हाथों को नित नए हथकंडे अपनाकर परेशान कर रही है | कांग्रेस के लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर रही, उन्हें फ़र्ज़ी मामलों में गिरफ्तार कर रही है, बसों के फिटनेस सर्टिफिकेट मांग रही | सरकार की श्रमिकों की मदद करने की इच्छशक्ति में कमी के चलते ही न तो सरकार स्वयं मदद कर रही है और न दूसरों को करने दे रही है| सरकार इस मुद्दे पर कितनी असंवेदनशील और अमानवीय रुख अपनाये हुए है कि अपनी गठ्धर्मिता में उसने दिल्ली यूपी सड़क सीमा ही सील कर दी और जो मज़दूर ट्रक मोटरसाइकिल और प्राइवेट वाहनों से अपने घरों को जा रहे थे उनको भी सीमा पर रोक दिया| सुप्रीम कोर्ट ने भी संज्ञान लेते हुए कहा कि किसी को उसके घर जाने से नहीं रोका जा सकता है|

कांग्रेस के द्वारा उपलब्ध कराई गयी बसों का फिटनेस सर्टिफिकेट मांगने पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी अपनी नाराज़गी का इज़हार करने से न रोक सके , अखिलेश ने योगी सरकार के इस कृत्य की तीव्र भर्त्स्ना की| अखिलेश ने कहा कि यह समय राजनीति का नहीं, सरकार को यथासंभव मज़दूरों की मदद करनी चाहिए और जो मदद को आगे आये उसका स्वागत करना चाहिए | अखिलेश ने कहा कि फिटनेस सर्टिफिकेट बसों का योगी सरकार का मांगने की ज़रुरत है , हर क्षेत्र में फेल योगी सरकार को स्वयम का सर्टिफिकेट देना चाहिए कि क्या वह सरकार चलाने योग्य है | अखिलेश ने योगी सरकार से इस्तीफ़ा माँगा और कहा कि योगी सरकार इस्तीफ़ा दे ताकि कोई सक्षम सरकार आकर प्रदेश को संकट की स्थिति से उबार सके| यह समय राजनीति करने का नहीं है इसलिए परिस्थितियों को देखते हुए योगी सरकार की नीयत श्रमिकों की मदद की होनी चाहिए न कि दस्तावेज़ों को देखने की| दस्तावेज़ तो 19 मार्च 2017 से देखे जा रहे हैं, यह आपातकाल का समय है यहाँ कोई भी श्रमिक ख़ुशी में अपना काम धंधा छोड़कर पैदल नहीं चल रहा है वह तो इस समय दया के पात्र हैं और योगी सरकार को हठधर्मिता छोड़ राजधर्म का निर्वाह करते हुए श्रमिकों के पक्ष में फैसला लेना चाहिए यही है यही राजधर्म |