• राष्ट्रव्यापी आवहान पर हुआ गांव-गांव विरोध प्रदर्शन
  • कानूनों की वापसी तक होगा आंदोलन

लखनऊ किसान विरोधी तीनों कानून और मजदूर विरोधी लेबर कोड को वापस लेकर देश की अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिए सरकार फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए कानून बनाएं और फसलों की खरीद और भुगतान की गारंटी करे। यह मांग आज आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट व मजदूर किसान मंच के कार्यकताओं द्वारा किसानों के राष्ट्रव्यापी आव्हान पर गांव-गांव किए प्रदर्शनों में उठाई। अम्बानी-अडानी की मोदी सरकार का विरोध करते हुए एआईपीएफ नेताओं ने कहा कि सरकार को स्वामीनाथन कमीशन की संस्तुतियों के अनुसार किसानों को फसलों के लागत मूल्यों के डेढ़ गुना ज्यादा दाम पर भुगतान करना चाहिए, सरकारी तंत्र द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार को रोकने के लिए किसान व नागरिक प्रतिनिधियों को लेकर बड़े पैमाने पर सहकारी समितियों के निर्माण करना चाहिए और इसके जरिए गांव व कस्बा स्तर पर फसलों की खरीद और स्टोरेज की व्यवस्था कर सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत करना चाहिए। इसके लिए सरकार को कृषि मद पर बजट में ज्यादा खर्च करने की जरूरत थी जिसे सरकार ने नहीं किया। उलटे सरकार देश हित में जारी किसानों आंदोलन का अभी भी दमन करने, उसे बदनाम करने और उसके खिलाफ षडयंत्र करने में ही लगी हुई है। जिस पर उसे रोक लगाकर किसान विरोधी कानूनों, काम के घंटे बारह करने वाले लेबर कोड और विधुत संशोधन अधिनियम वापस लेना चाहिए। इन प्रदर्शनों के बारे में एआईपीएफ के राष्ट्रीय प्रवक्ता व पूर्व आईजी एस. आर. दारापुरी ने यह जानकारी जारी प्रेस विज्ञप्ति में दी।

प्रदर्शनों का नेतृत्व बिहार के सीवान में पूर्व विधायक रमेश सिंह कुशवाहा, लखीमपुर खीरी में एआईपीएफ के प्रदेश अध्यक्ष डा. बी. आर. गौतम, सीतापुर में एआईपीएफ के महासचिव डा. बृज बिहारी, मजदूर किसान मंच नेता सुनीला रावत, युवा मंच के नागेश गौतम, अभिलाष गौतम, सोनभद्र में प्रदेश उपाध्यक्ष कांता कोल, कृपाशंकर पनिका, राजेन्द्र प्रसाद गोंड़, आगरा में वर्कर्स फ्रंट उपाध्यक्ष ई. दुर्गा प्रसाद, चंदौली में अजय राय, आलोक राजभर, वाराणसी में प्रदेश उपाध्यक्ष योगीराज सिंह पटेल, मऊ में बुनकर वाहनी नेता इकबआल अंसारी, लखनऊ में दिनकर कपूर, उपाध्यक्ष उमाकांत श्रीवास्तव, हाईकोर्ट के एडवोकेट कमलेश सिंह, इलाहाबाद में युवा मंच संयोजक राजेश सचान, बस्ती में एडवोकेट राजनारायण मिश्र ने किया।