राज्य मुख्यालय लखनऊ। इंसान और इंसानियत में क्या फ़र्क़ है इसका अहसास गोरखपुर बीआरडी कालेज में तैनात रहे अब सियासी द्वेष भावना के चलते निलंबित चल रहे डाक्टर कफ़ील खान कोरोना काल में देश और इंसानों की सेवा कर सके इसके लिए उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार से पच्चीस बार निवेदन किया लेकिन द्वेष भावनाओं ग्रसित सरकार के कानों पर जू नही रेंग रही है। कहते हैं सबका साथ , सबका विकास ,सबका विश्वास और काम उसके उलट करते हैं न सबका साथ है ,न सबका विकास है , और न ही सबका विश्वास है|
मेडिकल संगठनों से मांगी मदद
यूपी सरकार हो या केन्द्र सरकार दोनों सरकारों ने द्वेष भावनाओं से ग्रसित होकर कार्य करना है ऐसा मैं नही कह रहा हूँ ये बात सरकार ख़ुद साबित करती है।ख़ैर डाक्टर कफ़ील खान बड़े हिम्मती इंसान है वह हिम्मत नहीं हारते संघर्ष करते रहते है उसी हिम्मत के चलते अब उन्होंने आइएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन), आइएपी (इंडियन एकेडमी आफ पीडियाट्रिक्स) ,एनएनएफ़ (नेशनल नियोनेटोलॉजी फोरम) , पीएमसएफ़ (प्रोग्रेसिव मेडिकोस एंड साइंटिस्ट्स फोरम) और एमएससी (मेडिकल सर्विस सेंटर) को पत्र लिख कर अपने निलम्बन को ख़त्म कराने में मदद माँगी है।
योगी सरकार को लिख चुके हैं 25 पत्र
डाक्टर कफ़ील खान का कहना है वो बीआरडी मेडिकल त्रासदी के बाद कोर्ट और 9 अलग अलग जाँच में उन्हें क्लीन चिट मिलने के बावजूद से पिछले 3 वर्षों से निलम्बित है, बाक़ी डाक्टर जो बीआरडी ऑक्सिजन त्रासदी में निलम्बित हुए थे उनकी बहाली हो गयी है। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार को 25 से अधिक पत्र लिख कर अपनी बहाली के लिए निवेदन किया है ताकि वो इस समय कोरोना महामारी के समय देश की सेवा कर सके पर उत्तर प्रदेश सरकार उनकी बहाली नहीं कर रही।
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