लखनऊ:
भाकपा (माले) ने कहा है कि 69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण घोटाले के शिकार अभ्यर्थियों को बिना और देरी किये न्याय मिलना चाहिए। पार्टी ने विगत कई दिनों से राजधानी के ईको गार्डेन में चल रहे अभ्यर्थियों के आंदोलन का समर्थन किया है और आज उनके शांतिपूर्ण विधानसभा मार्च पर हुसैनगंज चौराहे के निकट पुलिस के दमन की कड़ी निंदा की है।
माले के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने बुधवार को जारी बयान में कहा कि सरकार अपनी गलती की सजा इन युवा अभ्यर्थियों को दे रही है, जो नियुक्ति पाने के हकदार हैं। सरकार की संवेदनहीनता के चलते वे सड़क पर उतरने को बाध्य हुए हैं। दरअसल भाजपा सरकार दलित-पिछड़ा आरक्षण को लागू करना नहीं, बल्कि उसे खत्म करना चाहती है। उसकी रुचि ईडब्लूएस यानी सवर्ण आरक्षण को लागू करने में है। ऐसे में, दलित-पिछड़ा आरक्षण के हकदार हजारों अभ्यर्थी जो आरक्षण घोटाला के चलते नौकरी पाने से वंचित रह गए हैं, सरकार के मंत्रियों की डेहरी पर गुहार लगा रहे हैं, पुलिस की जोर-जबरदस्ती से लेकर दमन का सामना कर रहे हैं, मगर उनकी मांग को लेकर भाजपा सरकार की कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है। एक तरफ नियुक्ति पत्र बांटने की डुगडुगी पिटी जा रही है, कहा जा रहा है कि विपक्ष बेवजह बेरोजगारी को मुद्दा बना रहा है, दूसरी तरफ नियुक्ति की बाट जोह रहे युवा दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं। यह वाकई दुखद है।
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