जागो मतदाता जागो सोंच समझ कर करो मतदान

(खा़लिद रहमान)

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नाम से जाने जाने वाले हमारे भारत देश की जनता को ये कह कर उसका उत्साह वर्धन किया जाता है कि जनता के वोट मे इतनी ताकत है कि वो देश की सरकार बदल सकती है। लेकिन वोट की ताकत क्या वाक़ई जनता के काम आती है बिलकुल नही बल्कि कुछ दिनो के लिए पावर मे आए मतदाता से उसका वोट हासिल करने वाला ज़रूर पाॅच साल के लिए ताकतवर बन कर सामने आता है ऐसी ताकत कि जीतने के बाद जनता का प्रतिनिधि कहलाने वाले इस ताकतवर व्यक्ति से अगर उसी मतदाता को सिर्फ मिलना हो तो उसे उससे मिलने के लिए पूरी ताकत लगानी पड़ती है। मतदाता के वोट की ताकत सिर्फ चुनाव की अधिसूचना जारी होने से लेकर मतदान तक होती है जब उस मतदाता के घर पर आ कर तमाम धनी और बहुबली नेता उस मतदाता को उसके वोट की ताक़त का एहसास दिला कर उससे अपने पक्ष में वोट देने का हर हथकंडा अपनाते है कुछ दिनो के लिए वोट की पावर मे आने वाले मतदाताओं के पास एक नही बल्कि अनेक ऐसे प्रत्याशी पहुॅच कर लोक लुभावने वादे करते है जिसकी आम जनता को चुनाव के समय पूरा होने की उम्मीद होती है। चुनाव की तारीखे तय होने के बाद से मतदान तक तमाम प्रत्याशी हर उस वोट के धनी व्यक्ति से मिलने की कोशिश करते है जिसके वोट से वो ताकतवर बन कर पाॅच साल तक उस ताकत का लाभ खुद उठा कर वोट देने वाले को असहाय बना देते है। बात कहने मे भले ही कड़वी हो लेकिन सच यही है कि वोट की ताकत वाले मतदाता का वोट लेकर जीतने वाला व्यक्ति ही पाॅच साल के लिए ताकतवर होता है और उस ताकत का अधिक्तर लाभ जीतने वाले या उसके चन्द करीबियो और रिश्तेदारो के हिससे में ही जाता है। चुनाव से पहले मतदान का प्रतिशत बढ़ानें के लिए न सिर्फ सरकारी तौर पर बल्कि गैर सरकारी संस्थांए भी मतदाताओं को जागरूक करने के लिए जागरूकता अभियान चलाती है इन अभियानो से वोट के प्रतिशत में इज़ाफा भी होता है लेकिन इस इज़ाफे का लाभ अगर किसी को मिलता है तो वो सिर्फ वोट पाकर जीतने वाले को। जीतने वाला पाॅच वर्ष तक उसी वोट की ताकत से बलवान होकर अपनी मनमजऱ्ी करता है और बेचारा वोटर अपने आपको कोसता है कि ये हमारे ही वोट की ताकत है जिसे हम पर ही महंगाई गरीबी और बेरोजगारी देकर सत्ता के गलियारो मे घूंम कर मीडिया के कैमरो के सामने नेता सिर्फ अपनी उपलब्धिया गिना रहा है। अक्सर देखा जाता है कि जीतने वाला व्यक्ति जीतने के बाद उस इलाके का रास्ता ही भूल जाता है जिस इलाके की जनता के वोट की ताकत से वो ताकतवर बना होता है। जनता के वोट की ताकत ही आम इन्सान को मननीय बनाती है । वोट पाकर माननीय बनने वाला व्यक्ति उस गरीब मतदाता की तरफ देखना भी पसन्द नही करता है जिसके वोट की ताकत से वो पहचाना जा रहा है। हमारे ख्याल से अब ये कहावत बदलनी चाहिए कि वोट की ताकत मतदाता की होती ह ैअब ये कहावत होनी चाहिए कि मतदाता की की वोट की पावर जीतने वाले माननीय की होती है। वोट के नाम पर भोली भाली जनता को बरगलाने वाले नेताओं को ताकतवर बना कर हम खुद असहाय हो जाते है लेकिन करें तो क्या करे ये तो हमारे संविधान में है वोट देना हमारा संवैधानिक अधिकार है और वोट पाना भी नेता का संवैधानिक अधिकार ही है। वोट की ताकत रखने वाली एक बुज़ुर्ग औरत की ताकत हमने एक बार उसकी ज़बान मे देखी थी । चुनाव की तारीखो की घोषणा के बाद विधायक पद के एक प्रत्याशी जन सम्पर्क पर अपने चेलो के साथ निकले थे मोहल्ले की तंग गलियो मे रहने वाले तमाम गरीबो के घरो के आगे से लोगो से मुलाकात कर अपने पक्ष मे मतदान करने की अपील करते हुए ये नेता जी गली के नुक्कड़ पर लाठी के सहारे खड़ी एक बुज़ुर्ग महिला के पास पहुॅचे और जैसे ही उन्होने उस महिला का वोट मागा तो वो भड़क गईं महिला ने नेता जी से तपाक से कहा कि हमारे वोट की ताकत को हमसे छीन कर खुद ताकतवर बन जाएगा फिर यही ताकत हम गरीबों पर आज़मा कर पाॅच साल तक हम लोगो को परेशान करेगा महंगाई बढ़ेगी तो तेरा ही फायदा होगा बेराज़गारी से तुझे कोई नुकसान नही जीतने के बाद गरीबी तो तुझे छू कर भी नहीं गुज़रेगी तेरे बच्चे मंहगे और आली शान स्कूलो मे पढ़ेगे अगर तेरे घर में कोई बीमार होगा तो तू उसका इलाज विदेश तक करवाने की हैसियत मे होगा जा मुझ ताकतवर महिला वोटर के मुंह न लग मेरे बच्चे तो सरकारी स्कूल में भी नही पढ़ पाए गम्भीर बीमार अभी तक आई नही है अगर आएगी तो मुझे पता ही नही चलेगी क्यूंकि मेरे पास इतने भी पैसे नही है कि मैं बीमारी की जाॅच करा सकूं इस लिए मै बीमारी के बारे मे जाने बिना ही इस दुनियां से चली जाऊॅगी महगाई का आलम हम जैसे वोट के ताकत वाले गरीबो से पूछ जिनके पास मंहगी सबज़ी खरीदने के पैसे भी नही होते है हम लोगो की जि़न्दगी बिजली का बिल पानी का बिल मंहगी दावा खरीदते ही गुज़र जाती है हम ऐसे लोग है जो बचपन से सीधे बुढ़ापे मे ही क़दम रखते जवानी के दिन हम गरीब वोट के ताकतवरो को तो नसीब ही नही होते है। लेकिन हमारा वोट पाकर ताकतवर बनने वाला 70 साल का बूढ़ा भी ऐशो आराम पाकर जवानों की तरह जि़न्दगी गुज़ारता है। बुज़ुर्ग महिला के इन सच्चे और कड़वे शब्दो नें प्रत्याशी महोदय का सर शर्म से झुका दिया लेकिन उनके साथ आए कुछ लोग और मोहल्ला वासियों नें महिला द्वारा बोले गए इन सच्चे शब्दो पर तालिया ज़रूर बजाई और प्रत्याशी महोदय सर झुका कर हाथ जोड़ कर आगे बढ़े और कुछ दूर पर खड़ी अपनी लग्ज़री गाड़ी में सवार होकर चले गए। वोट की ताकत वाली बात से भले ही अधिक्तर लोग सहतम न हो लेकिन सच यही है कि वोट की ताकत वोटर के लिए नहीं बल्कि वोट पाकर जीतने वाले के लिए होती है। इस लेख के माध्यम से मै ये कहना चाहता हूॅ कि ताकत का इस्तेमाल अगर अच्छे काम के लिए हो तो काम में चार चाॅद लग जांएगे लेकिन अगर ताकत मिलनें के बाद उसी ताकत का जनता के खिलाफ इस्तेमाल होगा तों देश के नेता भले ही तरक्की करें लेकिन न देश तरक्की करेगा और न ही देशवासी। मैं ये नही कहता कि मतदान न करो लेकिन मैं ये ज़रूर कहता हॅू कि मतदान करने से पहले गम्भीरता पूर्वक विचार करो कि तुम जिसको अपनी ताकत सौंप रहे हो कही वही व्यक्ति उसी ताक़त का तुम पर ही तो गलत इस्तेमाल नहीं करेगा। जागरूक मतदाता बन कर सोंच समझ कर ऐसी व्यक्ति को अपने वोट की ताक़त सौपे जो मतदाता की ताक़त को देश और समाज की तरक्की के लिए इस्तेमाल करे।