हिन्दी-उर्दू साहित्य अवार्ड कमेटी द्वारा सम्मान समारोह आयोजित

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज संत गाडगे प्रेक्षागृह में हिन्दी-उर्दू साहित्य अवार्ड कमेटी द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में प्रख्यात साहित्यकार एवं गीतकार श्री कुंवर बेचैन को ‘निराला सम्मान‘ तथा मशहूर शायर मुन्नवर राना को ‘निशान-ए-ग़ालिब‘ सम्मान से अलंकृत किया। समारोह में ‘साहित्य शिरोमणि अवार्ड‘ श्री योगेन्द्र नारायण पूर्व आई0ए0एस0, श्री गौरव कृष्ण बंसल निदेशक उत्तर मध्य सांस्कृतिक केन्द्र इलाहाबाद, के0के0 बिड़ला ग्रुप के श्री सुरेश, श्री बलदेव शर्मा अध्यक्ष नेशनल बुक ट्रस्ट, श्री सर्वेश अस्थाना पत्रकार एवं कवि एवं श्री सागर त्रिपाठी को दिया गया। उर्दू की सेवा के लिए श्री खान मसूर कुलपति अरबी, फारसी-उर्दू विश्वविद्यालय लखनऊ, प्रो0 सगीर इब्राहिम, डाॅ0 जुबैर फारूख, श्री अम्बर बहराईची, श्री माजिद देवबंदी, मो0 सगीर बुखारी (कतर), श्री हबीब नबी (मस्कत), श्री तारिक कमर (ई0टी0वी0 उर्दू) को सम्मानित किया गया। ‘समाज सेवा सम्मान‘ श्री मुरधीधर आहूजा एवं डाॅ0 नितिन सूद को दिया गया। पुस्तक के लिए विशेष सम्मान से डाॅ0 हसन काज़मी, मो0 खालिद व श्री गौरव कृष्ण बंसल को सम्मानित किया गया। राज्यपाल ने इस अवसर पर श्री गौरव कृष्ण बंसल द्वारा रचित उपन्यास ‘चबूतरा‘ तथा सुश्री शाहिदा सिद्दीकी के काव्य संग्रह ‘लम्हा-लम्हा‘ का विमोचन भी किया।

राज्यपाल ने हिन्दी-उर्दू सम्मान समारोह के बाद मुख्य अतिथि के तौर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हिन्दुस्तान एक ऐसा देश है जहाँ अनेक भाषाएं प्रचलित हैं। हिन्दी सभी भाषाओं की बड़ी बहन है। हिन्दी भाषा के बाद सबसे ज्यादा उर्दू भाषा सभी प्रदेशों में बोली व समझी जाती है। उन्होंने कहा कि हिन्दी और उर्दू देश की बड़ी भाषायें हैं। 

श्री नाईक ने सम्मान समारोह में अंग्रेजी में दिये गये प्रशस्ति पत्र को देखते हुए सुझाव दिया कि हिन्दी और उर्दू भाषा की अपनी श्रेष्ठता है। अच्छा हो कि सम्मान पत्र की भाषा भारतीय हो। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि हिन्दी और उर्दू के श्रेष्ठ साहित्य को अन्य भारतीय भाषाओं में भी अनुवादित किया जाए। उन्होंने कहा कि पूरा समाज अभियान चलाकर इस कार्य को करें तो दूसरी भाषाओं का साहित्य पढ़ने को मिलेगा।

इस अवसर पर महापौर डाॅ0 दिनेश शर्मा व कमेटी के सचिव श्री अतहर नब़ी ने भी अपने विचार रखें। समारोह में डाॅ0 अम्मार रिज़वी, श्री सिराज मेहदी, डाॅ0 इर्तिजा करीम सहित हिन्दी और उर्दू के जाने माने कवि और शायर भी उपस्थित थे। सम्मान समारोह के बाद आयोजित कवि सम्मेलन-मुशायरा में श्री सागर त्रिपाठी ने मोहम्मद साहब पर नात-पाक प्रस्तुत की, जिसकी मुख्य पंक्तियाँ थी, ‘रोशनी के अमीन हैं आका, रहमत-ए-आलमीन हैं आका‘ तथा सरस्वती वंदना भी प्रस्तुत की। श्री मुन्नवर राना ने माँ और देश पर अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। उन्होंने चंद शेर पढे़ कि ‘ऐसे उडूं कि जाल न आये खुदा करे, रस्ते में अस्पताल न आये खुदा करे, यह मादरे वतन है मेरा, इस पर कभी जवाल न आये खुदा करे‘, पढ़कर उपस्थित जनसमूह को भावुक कर दिया।