नागपुर: नागपुर में गुरुवार को आयोजित होने वाले एक एड्स जागरूकता कार्यक्रम में ‘हनुमान चालीसा’ पढ़े जाने की योजना पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने बेहद सख्त टिप्पणी करते हुए पूछा कि ‘क्या भारत बस हिंदुओं के लिए है’?
दरअसल नागपुर नगर निगम एक स्थानीय मंदिर ट्रस्ट के साथ मिलकर एड्स जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन करने वाला है, जहां कार्यक्रम के दौरान हनुमान चालीसा के पाठ की योजना है। इस पर बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए नगर निगम से पूछा, ‘सिर्फ हनुमान चालीसा का पाठ ही क्यों, कुरान, बाईबल या दूसरे धार्मिक ग्रंथों का क्यों नहीं? एड्स जागरूकता और हनुमान चालीसा के पाठ के बीच क्या ताल्लुक है? क्या सिर्फ हिन्दू ही एड्स से ग्रसित होते हैं?
आपको बता दें कि नागपुर नगर निगम का संचालन बीजेपी करती है। न्यायमूर्ति भूषण गवई और न्यायमूर्ति स्वप्ना जोशी की खंडपीठ ने नगर निगम और मंदिर ट्रस्ट से दोनों कार्यक्रमों के बीच कम से कम एक घंटे का अंतर रखने को कहा। न्यायाधीशों ने कहा कि वे किसी धार्मिक कार्यक्रम के खिलाफ नहीं हैं, उनकी चिंता इससे सरकारी एजेंसियों के जुड़ने को लेकर है।
अदालत की इस टिप्पणी के बाद नगर निगम ने एड्स जागरूकता कार्यक्रम और हनुमान चालीसा पठन को अलग-अलग कर दिया है और दोनों कार्यक्रमों के बीच एक घंटे का फर्क रखा है। इस कार्यक्रम में डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों के शामिल होने की उम्मीद है।
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