नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के ख़िलाफ़ भारत के दस सूफ़ी संगठनों के कामयाब प्रदर्शन के बाद यह बहस फिर तेज़ हो गई है कि सूफ़ी समुदाय को साथ लाने की भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कोशिशों कितनी कामयाब हो पाएंगीं। दिल्ली की 50 मस्जिदों के बाहर शुक्रवार को जुमे की नमाज़ के बाद सूफ़ी समुदाय के लोगों ने अमित शाह के ख़िलाफ़ ज़ोरदार प्रदर्शन करते हुए उनसे फिर माफ़ी की माँग को दोहराया। यह भी कहा गया कि अमित शाह अगर माफ़ी नहीं माँगते हैं तो लखनऊ और दिल्ली में सूफ़ी समुदाय के लोग विशाल प्रदर्शन आयोजित कर समाज को इस बात से अवगत करवाएंगे कि भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने महान् सूफ़ी संत हज़रत सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी मियाँ की शान में कितने घटिया शब्दों का प्रयोग किया है। गौरतलब है कि क़रीब एक माह पहले बहराइच में एक कार्यक्रम के दौरान बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह ने सूफ़ी संत सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी मियाँ के लिए बेहद आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग करते हुए उन्हें चरित्रहीन ठहराने की कोशिश की थी।

प्रदर्शन मुफ़्ती अशफ़ाक़ हुसैन क़ादरी ने संबोधित करते हुए कहाकि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने हज़रत ग़ाज़ी मियाँ के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया है उसे सूफ़ी समुदाय स्वीकार नहीं करेगा। एक तरफ़ प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी सूफ़ी संतों के सम्मान और इस्लाम में सूफ़ी मत की धारा के सम्मान का दावा करते हैं वहीं दूसरी तरफ उनके चहेते अमित शाह सूफ़ी संतों का अपमान करने की घटिया करतूत पर उतर आए हैं। मुफ़्ती अशफ़ाक़ ने कहाकि दोनों में से कोई एक तो झूठा है और अगर दोनों अपनी विचारधारा पर क़ायम हैं तो यह भी साबित होता है कि अमित शाह की नज़र में नरेन्द्र मोदी के विचारों की कोई अहमियत नहीं।

मुफ़्ती अशफ़ाक़ हुसैन क़ादरी ने एक दिन पहले दिल्ली में एक सूफ़ी सम्मेलन में नरेन्द्र मोदी के बयान का हवाला देते हुए कहाकि नरेन्द्र मोदीजी सूफ़ीवाद की प्रशंसा करते हैं यह अच्छी बात है लेकिन काश अपने सबसे क़रीबी अमित शाह को ही वह सिखा पाते कि सूफ़ी संतों के मज़ार पर जाकर किस भाषा का प्रयोग करना चाहिए। यदि वाक़ई नरेन्द्र मोदी के दिल में सूफ़ीवाद के प्रति सम्मान है तो उन्हें स्वयं अमित शाह के साथ देश और महान् सूफ़ी संत सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी मियाँ से माफ़ी माँगनी चाहिए।

प्रदर्शन में आए कई लोगों ने भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह के बयान पर बेहद नाराज़गी जताते हुए कहाकि वह नहीं जानते कि सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी मियाँ का भारत के सूफ़ी इतिहास में क्या दर्जा है। यदि अमित शाह को थोड़ी भी शर्म है तो उन्हें भारत के 25 करोड़ मुसलमानों से माफ़ी माँगनी चाहिए और यदि वह ऐसा नहीं करते हैं तो लखनऊ में विशाल प्रदर्शन कर अमित शाह के शर्मनाक बयान का जवाब दिया जाएगा। 

विरोध प्रदर्शन को मौलाना इस्लाम रिज़वी, तंज़ीम अध्यक्ष दिल्ली, मौलाना शाकिरुल क़ादरी तंज़ीम सचिव दिल्ली, क़ारी सग़ीर रिज़वी कार्यालय सचिव, सैयद जावेद नक़्शबंदी, दरबारे अहले सुन्नत दिल्ली, मौलाना सख़ी राठौड़, क़ारी रफ़ीक़, इमाम बुलंद मस्जिद, मुहम्मद अज़ीम, मुहम्मदी यूथ ब्रिगेड, हाजी समीर, जमीअत अलमंसूर- दिल्ली, मुफ़्ती इक़बाल, रज़ा मस्जिद, जाफ़राबाद- दिल्ली, असरारुल हक़, फ़ारूक़े आज़म मस्जिद, मौलाना शाबान, मदरसा इस्लाम- दिल्ली, सूफ़ी अशफ़ाक़, सुल्तानुल हिन्द फ़ाउंडेशन, मौलाना ग़ुलाम मुहम्मद, मस्जिद अता ए रसूल खजूरी, रफ़ीक़ अहमद, रज़ा एक्शन कमेटी, क़ारी अब्दुल वाहिद मदरसा ग़ौसुस सक़लैन, मौलाना मुहम्मद आलिम, ब्रह्मपुरी, क़ारी फ़िरदौस, मदरसा गुलशने बरकात, मौलाना तस्लीम ने भी सम्भोधित किया ।