राज्यपाल ने 57वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी का उद्घाटन किया 

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल  राम नाईक ने आज ललित कला अकादमी में आयोजित 57वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। राज्यपाल ने इस अवसर पर चित्रकारी कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वालों को एक लाख रूपये, प्रशस्ति पत्र एवं पुष्प गुच्छ देकर सम्मानित किया। सम्मान प्राप्त करने वाले कलाकारों में अमित कुमार मऊ उत्तर प्रदेश, धीरज यादव लखनऊ, कपाडिया गुलाम मनसुख भाई गुजरात, कौशिक शाहा, लोकनाथ प्रधान उडि़सा, माधवदास गुवहाटी, श्रीमती प्रतिभा अपूर्वा मध्य प्रदेश, पूजा मनराल कोलकाता, राधाकृष्ण राव कर्नाटक, राजीव कुमार, रवीन्द्र कुमार दिल्ली, शरद देवली महाराष्ट्र, स्वनेश गोवा तथा विपुल थे।

राज्यपाल ने मुख्य अतिथि के रूप में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि कला का संप्रेषण भी एक कला है। कला के क्षेत्र में सिफारिश नहीं कडे़ परिश्रम की जरूरत है। परिश्रम के आधार पर ही सम्मान मिलता है। भारत में युवा आबादी देश की पूंजी है जिसका सही उपयोग करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि देश को कला के क्षेत्र में सम्पन्न बनाने का काम युवा पीढ़ी करें। 

श्री नाईक ने कहा कि कला को आगे बढ़ाने के लिए समाज और सरकारें प्रोत्साहन दें। अपने देश की समृद्ध परम्परा है। लोग पूरे मनोयोग से कला को पोषित कर रहे हैं। लखनऊ कला की राजधानी है। वाराणसी सांस्कृतिक राजधानी है और मुंबई आर्थिक राजधानी है। मन में आने वाली बात को चित्रों के माध्यम से दिखाना कमाल की बात है। कलाकारों को उन्हें उनके कार्य स्थल की सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकारी योजनाओं का लाभ एवं प्रोत्साहन कलाकारों को भी मिलना चाहिए।

राज्यपाल ने कहा कि कलाकार अपनी कला से मूर्तियों में भी जीवंतता पैदा कर देते हैं। मध्य कमान लखनऊ स्थित स्मृतिका में लगे भित्ति चित्र की बात करते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश के तीन परमवीर चक्र प्राप्त करने वाले शहीदों के भित्ति चित्र प्रेरणा के स्रोत हैं। शहीदों का सम्मान करने के लिए भित्ति चित्र बनाये गये हैं। उन्होंने कहा कि नये कलाकार ऐसी कलाकृतियों से प्रेरणा लें तो उनकी कला में और निखार आयेगा। 

कार्यक्रम में श्री के0के0 मित्तल प्रशासक राष्ट्रीय कला अकादमी एवं डाॅ0 सुधाकर शर्मा सचिव अकादमी ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर राज्यपाल ने ज्यूरी सदस्यों को अंग वस्त्र और पुष्प गुच्छ देकर सम्मानित किया तथा ललित कला अकादमी के कैटलाॅग का विमोचन भी किया।