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उद्योग जगत ने रेल बजट को सराहा

नई दिल्ली: भारतीय उद्योग जगत ने 2016-17 के रेल बजट को वृद्धि को प्रोत्साहन देने वाला बताया है। उद्योग जगत ने कहा कि 2019 तक तीन नए मालढुलाई गलियारे से परिवहन की लागत घटाने में मदद मिलेगी। हालांकि, उद्योग जगत की राय है कि 1.84 लाख करोड़ रुपये के राजस्व सृजन का लक्ष्य ‘काफी चुनौतीपूर्ण’ है।

रेल बजट में यात्री किराये और मालभाड़े में बढ़ोतरी नहीं की गई है। इसमें तीन नई सुपरफास्ट ट्रेनें शुरू करने और 2019 तक समर्पित मालढुलाई गलियारे उत्तर-दक्षिण, पूर्व-पश्चिम और पूर्वी तटीय की घोषणा की गई है।

एलएंडटी के रेल कारोबार के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजीव ज्योति ने कहा, ‘‘रेल मंत्री ने काफी ऊंचा 1.8 लाख करोड़ रुपये का राजस्व सृजन लक्ष्य रखकर काफी आक्रामक रुख अख्तियार किया है। मुझे लगता है कि यह काफी बड़ी चुनौती है, विशेषकर आर्थिक वृद्धि के मोर्चे पर चुनौतियों को देखते हुए।’’ उन्होंने कहा कि वेतन आयोग की सिफारिशों से रेलवे पर 30,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। इसमें भी वह परिचालन अनुपात (परिचालन आय में परिचालन खर्च का हिस्सा) को 92 प्रतिशत तक सीमित रखने की उम्मीद कर रहे हैं, जो काफी चुनौतीपूर्ण है।

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के अध्यक्ष सुमित मजूमदार ने कहा, ‘‘परियोजनाओं के क्रियान्वयन और उनको पूरा करने पर जोर अच्छी बात है। तीन नए गलियारे बनाने से लाजिस्टिक्स की लागत घटेगी।’’

फिक्की के अध्यक्ष हषर्वर्धन नेवतिया ने कहा, ‘‘मालभाड़ा नीति को तर्कसंगत बनाने तथा पीपीपी नीति रूपरेखा की समीक्षा से निजी क्षेत्र के खिलाड़ियों को आकर्षित करने में मदद मिलेगी। इससे रेल परिवहन में बदलाव लाया जा सकेगा और राजस्व में बढ़ोतरी की जा सकेगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘एकीकृत रेल नेटवर्क के विकास की पहल, प्रतिबद्ध मालढुलाई गलियारे पर जोर, बंदरगाह संपर्क और पूर्वोत्तर संपर्क में सुधार से मालढुलाई कारोबार को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।’’ सीआईआई रेल परिवहन एवं उपकरण विभाग के वाइस चेयरमैन तिलक राज सेठ ने कहा, ‘‘मालढुलाई के मोर्चे पर गुणवत्ता वाले उपाय देखने को मिला है, पर हम अधिक कंक्रीट उपायों की उम्मीद कर रहे थे।’’ एसोचैम के अध्यक्ष सुनील कनोरिया ने कहा, ‘‘रेल मंत्री ने पूंजीगत खर्च के मोर्चे पर समझौता किए बिना किराये में बढ़ोतरी नहीं की है। उन्होंने यात्री और मालढुलाई क्षमता में बढ़ोतरी का प्रयास किया है, वह भी चुनौतीपूर्ण आर्थिक माहौल में।’’ जीई ट्रांसपोर्टेशन के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी (सीईओ) नलिन जैन ने कहा कि यदि मालभाड़ा बढ़ाए बिना रेलवे का राजस्व बढ़ाया जाता है तो यह स्वत: उसके लिए बेहतर वित्त की स्थिति होगी।

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