नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आरबीआई और इसके गवर्नर रघुराम राजन को कर्ज राइट के मामले में नोटिस जारी करते हुए कहा है कि 500 करोड़ से ज्यादा के बकाएदारों की सूची दो हफ्ते में पेश की जाए।

इस नोटिस के जरिए सुप्रीम कोर्ट ने आरबीआई से 500 करोड़ रुपए से ज्यादा के डिफॉल्टर की जानकारी मांगी है। सुप्रीम कोर्ट ने आरबीआई से पिछले 5 साल में 500 करोड़ रुपये से ज्यादा रीस्ट्रक्चर्ड कर्ज की जानकारी मांगी है। कोर्ट ने बंद लिफाफे में कर्ज राइट-ऑफ की सारी जानकारी मांगी है।

एक विशेषज्ञ का कहना है कि बढ़ते एनपीए के मामले में सुप्रीम कोर्ट का दखल एक प्रगतिकारक संकेत है। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती एक बड़ा कदम माना जा सकता है और इससे अब एनपीए के बढ़ते जाल की परतें खुलने में आसानी होगी। अगर सुप्रीम कोर्ट की जांच में जानबूझ कर डिफॉल्ट करने की बात सामने आती है, तो ऐसे डिफॉल्टरों के लिए दिक्कतें बढ़ सकती हैं। साथ ही सुप्रीम कोर्ट के कदम से आगे बैंकों को कर्ज वसूली में भी आसानी होगी।

विशेषज्ञों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने सही दिशा में उठाया कदम है और इससे बैंकों को कर्ज देने में ज्यादा आसानी हो सकती है। साथ ही आगे ज्यादा पारदर्शी तरीके से बैंक कर्ज दे सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट के इस कदम से बढ़ते एनपीए पर लगाम लग जाती है, तो ये बैंकों के लिए काफी अच्छा साबित होगा।