नई दिल्ली: जेएनयू में देश विरोधी नारेबाजी का विवाद शांत होने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है। छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार की पटियाला हाउस कोर्ट में पेशी के दौरान आज वकीलों और छात्रों के बीच जमकर हाथापाई हुई। वहीं आज इस मामले पर पूर्व सैनिकों ने भी प्रदर्शन किया।

उधर, इस मामले में पुलिसिया कार्रवाई के विरोध में जेएनयू के छात्रों ने आज हड़ताल बुलाई है। कन्हैया की रिहाई तक यह हड़ताल जारी रहेगी। इससे पहले रविवार को भी वामपंथी छात्र संगठनों और शिक्षक संघ ने मानव शृंखला बनाकर अपना विरोध जताया था। इस बीच देश विरोधी नारेबाजी करने वाले पांच और छात्रों की तलाश जारी है।

उधर, जेएनयू के शिक्षकों ने पुलिसिया कार्रवाई का विरोध जारी रखते हुए इसे संस्थान की स्वायत्तता का हनन बताया और कहा कि हालात इमरजेंसी की याद दिला रहे हैं।

इस बीच जेएनयू में देशद्रोह के नारे लगाने के आरोप पर विश्वविद्यालय का स्टाफ बंटा हुआ दिख रहा है। जहां कुछ शिक्षक पुलिस कार्रवाई के समर्थन में हैं वहीं कई इस कार्रवाई की कड़ी निंदा कर रहे हैं। जेएनयू के कई शिक्षकों का मानना है कि पिछले कुछ समय से जानबूझ कर विश्वविद्यालय को देश विरोधी दिखाने की साज़िश हो रही है।

उधर, मामले की जांच में लगी जेएनयू की विशेष जांच कमेटी ने पूरी घटना की वीडियो फुटेज के आधार पर कई चश्मदीदों के बयान लिए हैं। 7 छात्रों को कमेटी के सामने पेश होने के लिए नोटिस जारी किया गया है। जांच पूरी होने तक ये छात्र क्लास अटेंड नहीं कर पाएंगे। कमेटी को 22 फरवरी तक अपनी रिपोर्ट वाइस चांसलर को सौंपनी है। मामले की जांच कर रही स्थानीय पुलिस ने इस केस को आतंकी मामलों की जानकार एजेंसी को सौंपने का आग्रह किया है।