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इंडिपेंडेंट पत्रिका संपादक के बयान से राम नाईक आहत

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने पी0टी0आई0 के हवाले से कई समाचार-पत्रों में छपी खबर का संज्ञान लेते हुए कहा है कि वे लंदन के दैनिक समाचार पत्र इनडिपेंडेंट के भारतीय मूल के संपादक अमोल रंजन के जारी बयान से बहुत आहत हैं। जारी बयान में अमोल रंजन ने कहा है कि वे मुंबई की जगह ‘बाॅम्बे‘ शब्द का ही प्रयोग करेंगे क्योंकि मुंबई शब्द हिन्दुत्व का परिचायक है। 

श्री नाईक ने इस संबंध में पाठकों को सही जानकारी देते हुए कहा है कि ‘बाॅम्बे और बम्बई से मुंबई नाम परिवर्तन हेतु मैंने जो अहम प्रयास सफलता से किया है उसकी जानकारी मैं जनता को देना उचित समझता हूं ताकि गलतफहमी न हो। मैं यह कहना चाहूंगा कि मुंबई का अपना इतिहास है। मुंबई का नामकरण मुंबा देवी के नाम से किया गया था, जिसके नाम से मुंबई गांव बसा था। व्याकरण के अनुसार अनुवाद करते समय नाम विशेष में परिवर्तन नहीं होता। अमोल राजन भारतीय (बंगाल) मूल के हैं तो उनका नाम बंगाली में अमोल राजन है और अंग्रेजी में भी अमोल राजन हैं। ठीक उसी प्रकार मुंबई का मूल नाम मुंबई था वह अंग्रेजों के कारण बाॅम्बे और हिन्दी भाषिकों के कारण बम्बई हो गया।‘ 

श्री नाईक ने बताया कि ‘भारत का संविधान‘ के हिन्दी संस्करण की मूल प्रति में बाॅम्बे नहीं मुंबई ही लिखा है। इस भूमिका में उन्होंने यह विषय सर्वप्रथम लोकसभा में 29 दिसम्बर, 1989 को उठाया था। लोकसभा अध्यक्ष ने उनके पक्ष को सही मानते हुए हिन्दी में बम्बई के बदले मुंबई लिखने का निर्देश दिया। अंग्रेजी नाम बदलने के लिए राजस्व संहिता के अनुसार यह अधिकार राज्य सरकार को दिया गया है। उनकी पहल पर राज्य सरकार ने शहर का नाम अंग्रेजी में भी मुंबई करने का निर्णय दिनांक 28 जुलाई 1994 को लेकर केंद्र सरकार को भी नाम परिवर्तन का आग्रह किया। वें स्वयं भी केंद्र सरकार से चर्चा करते रहे। अंततः केंद्र सरकार ने भी 15 दिसम्बर, 1995 को बाॅम्बे का नाम अंग्रेजी में मुंबई करने का निर्णय किया। उस समय पर केंद्र में काॅंग्रेस की सरकार थी और श्री पी0वी0 नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री थे तथा गृह मंत्री शंकरराव चव्हाण थे। शहर का नाम मुंबई होने से महाराष्ट्र के सभी नागरिकों को गौरव का अनुभव हुआ। 

श्री नाईक ने आगे कहा है कि ‘इतना ही नहीं बाद में अन्य प्रदेशों में भी इसका अनुकरण किया गया। जिसके कारण मद्रास का चेन्नई, कलकत्ता का कोलकाता, बंगलौर का बंगलुरु और त्रिवेंद्रम का थिरुअनंतपुरम नाम परिवर्तन किया गया। केवल भारत ही नहीं सीलोन ने भी अपना नाम बदलकर श्रीलंका, बर्मा का म्यांमार और चीन ने भी पेकिंग का नाम बदलकर बीजिंग किया है। मुझे ऐसा लगता है कि इंडिपेंडेंट पत्रिका के संपादक अमोल राजन इस विषय को समझकर अपने निर्णय पर पुनर्विचार करेंगे, क्योंकि मुंबई नाम शहर की अस्मिता, इतिहास और गौरव से जुड़ा है।‘

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