कहा- एक दशक की उपलब्धियां राष्ट्रीय गर्व और उत्सव का विषय

नई दिल्ली : महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के मंगलवार को 10 वर्ष पूरे हो रहे हैं और पूर्ववर्ती संप्रग सरकार द्वारा पेश इस योजना की शुरू में आलोचना करने वाली राजग सरकार ने इसका स्वागत करते हुए कहा कि एक दशक में इसकी उपलब्धियां राष्ट्रीय गर्व और उत्सव का विषय है।

अपने बयान में सरकार ने हालांकि दावा किया कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान यह कार्यक्रम पटरी पर लौटा है। साथ ही यह घोषणा भी की कि आने वाले वर्षों में इस कार्यक्रम से जुड़ी प्रक्रियाओं को और सरल और मजबूत बनाने तथा इसके द्वारा गरीबों के लाभ के मकसद से सतत परिसम्पत्ति के रूप में विकसित करने पर होगा।

मनरेगा सम्मेलन 2016 के दौरान मुख्य संबोधन में कल वित्त मंत्री अरूण जेटली द्वारा कुछ महत्वपूर्ण घोषणाएं करने की उम्मीद है। इसमें कहा गया है कि दूसरी और तिसरी तिमाही में सबसे अधिक व्यक्ति दिवस क्रमश: 45.88 करोड़ और 46.10 करोड़ उत्पन्न हुआ जो पिछले पांच वर्ष में सर्वाधिक है।

ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा आज जारी बयान में कहा गया कि पिछले एक दशक में मनरेगा की उपलब्धियां राष्ट्रीय गर्व और उत्सव का विषय है। इसमें कहा गया कि इस कार्यक्रम के शुरू होने के बाद से इस पर 313844 करोड़ रूपये खर्च हुआ जिसमें से 71 प्रतिशत मजदूरी का भुगतान करने में किया गया। इसके तहत 20 प्रतिशत कार्य अनुसूचित जाति वर्ग के मजदूरों और 17 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति वर्ग के मजदूरों को प्रदान किया गया।

पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के दौरान फरवरी 2006 में मनरेगा योजना की घोषणा की गई थी । इस अवसर पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी आंध्रप्रदेश के अनंतपुर के बंदलापल्ली गांव जायेंगे जहां से इस योजना को पेश किया गया था। तत्कालीन संप्रग सरकार ने इसे गरीबी हटाने की दिशा में ऐतिहासिक पहल बताया था।

नरेन्द्र मोदी नीत राजग सरकार का सत्ता में आने के बाद शुरू में इसके प्रति आलोचनात्मक रूख रहा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले वर्ष इसे ‘कांग्रेस की विफलताओं का जीता जागता स्मारक’ बताया था। उन्होंने कहा था, ‘क्या आप सोचते हैं कि मैं इस योजना को बंद करूंगा। मेरी राजनीतिक समझ मुझे ऐसा करने की इजाजत नहीं देती। यह पिछले 60 वर्षों में गरीबी से निपटने की दिशा में विफलताओं का जीता जागता स्मारक है और मैं गाजे बाजे के साथ इसे जारी रखूंगा।’