नई दिल्ली: अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़े झटके के तहत नवंबर में औद्योगिक उत्पादन में सालाना आधार पर 3.2 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। अक्टूबर में इसमें 9.8 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। वहीं दिसंबर में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 5.61 प्रतिशत हो गई, जो नवंबर में 5.41 प्रतिशत थी। लगातार पांचवें महीने खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ी है। इससे भारतीय रिजर्व बैंक के लिए ब्याज दरों में कटौती करना मुश्किल हो जाएगा।
कैपिटल गुड्स और बिजली क्षेत्र के खराब प्रदर्शन के चलते नवंबर में औद्योगिक उत्पादन में कमी आई है। अक्टूबर में कैपिटल गुड्स क्षेत्र के उत्पादन में जहां 16.1 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी, वहीं नवंबर में इसमें 25 प्रतिशत की जोरदार गिरावट आई है। विनिर्माण क्षेत्र में अक्टूबर में 10.6 फीसदी की तेजी दर्ज हुई थी, जबकि नवंबर में इसमें 4.4 फीसदी की मामूली बढ़ोतरी देखी गई। खनन उत्पादन भी नवंबर में अक्टूबर के मामले कम रहा।
31 मार्च को समाप्त हो रहे वित्त वर्ष के लिए सरकार ने पहले ही आर्थिक विकास दर के अनुमान को संशोधित कर 7-7.5 फीसदी रहने की संभावना जताई है। पहले 8.1-8.5 फीसदी आर्थिक विकास दर हासिल करने का अनुमान था।
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