नई दिल्ली। कॉरपोरेट-सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) को अनिवार्य बनाए जाने के सरकार के कदम पर टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन रतन टाटा ने सवाल खड़े किए हैं। टाटा ने कहा कि सरकार की तरफ से कंपनियों के लिए 2 फीसदी सीएसआर को अनिवार्य बनानाख् उन पर टैक्स लगाने जैसा है। टाटा ने कहा, ‘परोपकार की भावना स्वत: आती है, लेकिन सार्वजनिक तौर पर इसका लक्ष्य तय करना उचित नहीं।’

गौरतलब है कि सीएसआर के तहत भारत में कारोबार कर रही हर कंपनी को अपने शुद्ध मुनाफे का दो फीसदी सामाजिक कार्यों पर खर्च करना पड़ता है। टाटा ने कहा कि उनके समूह की कंपनियां सीएसआर पर अपने मुनाफे का 4 से 5 फीसदी खर्च करती है। सरकार को उन प्रोजेक्ट्स को डिफाइन करना होगा, जिसमें इनवेस्टमेंट की जरूरत है।