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प्रदेश सरकार एक्यूपंक्चर पद्धति को मान्यता देने पर विचार करे: राज्यपाल

लखनऊः उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम द्वारा विवेकानन्द पाॅलीक्लीनिक एवं इंस्टीट्यूट आॅफ मेडिकल साइंस, लखनऊ में एक्यूपंक्चर पर आयोजित संगोष्ठी का उद्घाटन किया। संगोष्ठी में विवेकानन्द पाॅलीक्लीनिक के प्रमुख स्वामी मुक्तिनाथानन्द, एक्यूपंक्चर एसोसिएशन आॅफ इण्डिया के महासचिव डा0 बी0जे0 भट्टाचार्या, डा0 एम0 गंताइत, डा0(बिग्रेडियर) आर0एन0 रस्तोगी सहित अन्य विशेषज्ञ तथा चिकित्सक उपस्थित थे। कार्यक्रम में राज्यपाल ने एक स्मारिका का विमोचन किया तथा राज्यपाल सहित अन्य विशिष्ट आमंत्रित विशेषज्ञों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित भी किया गया। 

राज्यपाल ने कहा कि एक्यूपंक्चर को लोकप्रिय और लाभदायी बनाने के लिये विज्ञान की प्रगति के अनुसार एक्यूपंक्चर पद्धति में सुधार लाया जा सकता है। रोगियों के लिये यह पद्धति कैसे और कितनी लाभदायी होगी इस पर विचार करने की आवश्यकता है। पश्चिम बंगाल एवं महाराष्ट्र में एक्यूपंक्चर पद्धति को मान्यता प्रदान की गई। उन्होंने सुझाव दिया कि उत्तर प्रदेश सरकार को भी एक्यूपंक्चर पद्धति को मान्यता देने पर विचार करना चाहिये। 

श्री नाईक ने कहा कि मनुष्य के स्वास्थ्य के लिये अलग-अलग प्रकार की पद्धति जैसे आयुर्वेद, यूनानी, एलोपैथी, होम्योपैथी आदि प्रचलित हैं, जो एक-दूसरे के पूरक के रूप में काम करती हैं। एक्यूपंक्चर पद्धति द्वारा बिना दवा के उपचार किया जाता है। एक्यूपंक्चर से जुड़े लोग शोध एवं तर्क के आधार पर इस पद्धति का लाभ समाज के सामने रखें। उन्होंने कहा कि एक्यूपंक्चर पद्धति में कुशलता लाने के लिये निरन्तर प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन (डिमान्सट्रेशन) की आवश्यकता है।  

डा0 एम0 गंताइत ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि एक्यूपंक्चर पद्धति का आरम्भ डा0 बसु ने किया था। एक्यूपंक्चर द्वारा इलाज करने में कोई दुष्प्रभाव नहीं होता तथा ज्यादा से ज्यादा लोग इस पद्धति का लाभ उठा सकते हैं। अमेरिका सहित अन्य विकसित देशों में एक्यूपंक्चर पद्धति के लिये लाइसेन्स भी उपलब्ध कराये गये हैं। उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे रोग है जिनमें दवा-रहित तरीके से भी इलाज सम्भव है। 

स्वामी मुक्तिनाथानन्द जी ने अपने स्वागत उद्बोधन में कहा कि यह संगोष्ठी देश के इस भाग में पहली बार आयोजित की जा रही और निश्चित रूप से यह वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति मरीजों की देखभाल में सशक्त साबित होगी। संगोष्ठी में डा0 बी0जे0 भट्टाचार्या ने भी अपने विचार रखे। 

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