श्रेणियाँ: लेख

पदक, पुरस्कार और बंदरबांट

नौकरशाहों एवं राजनेताओ के परिजनों-सगे-संबंधियों को मनमाना राष्ट्रीय सम्मान अनुचित

(डाॅ.नीतू सिंह तोमर)

सामाजिक प्रतियोगिताओं द्वारा पदक, पुरस्कार और सम्मान पात्र व्यक्ति को मिलना गौरव की बात है, परन्तु बडे पिता के बिगडैल बेटों की ‘मौज-मस्ती’ के लिए राष्ट्रीय पदक, परस्कार, सम्मान लुटाना कलंक की बात है। पुरस्कार, पदक और राष्ट्रीय सम्मान के आवंटन में हमें बडे़ पैमाने पर देखने को मिल रहा है कि उच्च पदों पर आसीन राजनेता एव ंअधिकारी अपने चहेते लाडलों एवं आपसी हितबद्ध लोगों के नाम सूचियों में शामिल कराकर बोर्ड-समिति-आयोगों की फर्जी आख्याओं एवं शिफारिशों के आधार पर चयन करा लिया जाता हैं और विजेता फिक्स कर पुरस्कार-सम्मान का बंदरबांट कर लिया जाता हैं तथा सार्वजनिक मंचों पर वाह-वाही लूटाकर राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पदक-पुरस्कार विजेता बना दिया जाता हैं। 

पदक, पुरस्कार एवं सम्मान विजेताओं की वास्तविक स्थिति को देख-विचार कर हम दावे के साथ कह सकते हैं कि, यदि पदक-पुरस्कार विजेताओं के चयन व प्रतियोगिताओं की गंभीरता से जांच की जाए तो उनके पदक, पुरस्कार, सम्मान, चयन से लेकर आबंटन तक की समस्त गतिविधियाँ अति संदिग्ध एवं अन्यायपूर्ण प्राप्त होंगी। इन समस्त प्रकार के विजेता चयनों में शामिल व्यक्ति विशेष की कृपा और उनके परिजनों सगे-संबंधी आपसी हितबद्ध लोगों तक सीमित रहा है। इनके संबंध में जांच-कार्यवाही हेतु बनी समितियों में शामिल अधिकांश अधिकारी-सदस्यों की संस्तुति भ्रामक व हस्ताक्षर फर्जी बनाए जाते है।

भ्रष्टाचार की शिकार भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था का सर्वाधिक लाभ नौकरशाहों के माध्यम से अधिकांश राजनेताओं और उनके परिजनों को मिल रहा है। देश की विकास योजनाओं का आबंटित धन नेताओं एवं प्रशासनिक अधिकारियों की सांठगांठ से समितियों की भ्रामक कागजी खानापूर्ति करके हडप लिया जाता है। राजनेता और नौकरशाह ‘विशेषाधिकार’ एवं भ्रष्ट लोगों की संस्तुतियों को अपने बचाव हेतु उपयोग करते हैं। जबकि ‘विशेषाधिकार’ ही भ्रष्टाचार का द्योतक है तथा भ्रष्ट लोगों की विशेष समितियां साधारण जनता के विरूद्ध और व्यक्ति विशेष के लिए लाभदायक सिद्ध होती हैं। 

आज सार्वजनिक एवं संवैधानिक पदों पर वी.आई.पी.के सगे-संबंधी आपसी हितबद्ध लोगों को पदासीन किया जा रहा हैं। जिससे ऐसा लगता है कि राजनीतिक दलों के प्रमुखों और नौकरशाहों को सार्वजनिक एवं संवैधानिक पदों पर कार्य करने के लिए अपने परिजनों, सगे-संबंधियों और गुगों के अतिरिक्त अन्य सभी भारतीय नागरिक (जनसाधारण) पूर्णतया अयोग्य हैं। राजनेताओं-नौकरशाहों की स्वार्थता व धृतराष्ट्रता के कारण सरकारी-संवैधानिक पदों पर अनके बेटे, बेटी, भाई, बहिन, बहनोई, साले, साढू, दामाद, पतोहू आदि सगे-संबंधी मात्र ही पात्र बनकर पदासीन हो रहे हैं। ऐसी अलोकतांत्रिक पदासीनता का प्रस्ताव व समर्थन ठीक उसी तरह दिख रहा है जैसे किसी किन्न्ार नरेश के बन्दीजनों के द्वारा किया जाने वाला गुणगान। 

वर्तमान में कहने को देश और प्रदेशों में लोकतांत्रिक सरकारे हैं परन्तु वास्तविक स्थिति इससे परे है। सरकार में पदासीन अधिकांश राजनेता एवं उनके परिजन सगे-संबंधी आपसी हितबद्ध लोग अपनी सुरक्षा के नाम पर देश-प्रदेशों की संपूर्ण ‘सुरक्षाबलों’ एवं ‘समाजसेवा’ के नाम पर फर्जी नाम-पतों के लागों एन.जी.ओ.बनाकर सरकारी कार्यालयों-मुख्यालयों पर कब्जा जमा कर अराजकता कर रहे हैं। नौकरशाह इनकी ‘जी-हजूरी’ में जुटे हुए है। सरकारी-विकास निधियों का धन अधिकारी-कर्मचारी फर्जी कागजी-कार्यवाही करके बैंकों से भुगतान का बंदरबांट कर रहे हैं। गबन-घपलों को दबाने के उद्देश्य से जांच समिति-आयोग बनाकर ‘जन-आक्रोश’ दबाया जा रहा हैं। ऐसी वी.आई.पी. एवं उनके परिजनों की जनविरोधी गतिविधियांँ देश के लोकतंत्र और जनसाधारण के लिए कितनी उपयोगी एवं कल्याण्कारी है, विशेष चिन्ताजनक है। अतः सार्वजनिक प्रतियोंगिताओं एवं राष्ट्रीय पदक, पुरस्कारों के आबंटन में जन साधारण के क्रियाकलापों को ही प्राथिमिकता मिलना आवश्यक एवं समीचीन है। 

Share

हाल की खबर

सरयू नहर में नहाने गये तीन बच्चों की मौत, एक बालिका लापता

मृतको में एक ही परिवार की दो सगी बहने, परिजनो में मचा कोहरामएसडीएम-सीओ समेत पुलिस…

मई 1, 2024

बाइक सवार दोस्तों को घसीट कर ले गई कंबाइन मशीन, एक की मौत, दूसऱे की हालत गंभीर ,लखनऊ रेफर

बाइक सवार मित्रों को गांव से घसीटते हुए एक किलो मीटर दूर ले गई,सहमे लोग…

मई 1, 2024

एचडीएफसी बैंक के पेजैप ऐप को ‘सेलेंट मॉडल बैंक’ का पुरस्कार मिला

मुंबईएचडीएफसी बैंक के मोबाइल ऐप पेज़ैप (PayZapp) को 'सेलेंट मॉडल बैंक' अवार्ड मिला है। एचडीएफसी…

मई 1, 2024

पत्रकारों के पेंशन और आवास की समस्या का होगा समाधानः अवनीष अवस्थी

-कम सैलरी में पत्रकारों का 24 घंटे काम करना सराहनीयः पवन सिंह चौहान -यूपी वर्किंग…

मई 1, 2024

पिक्चर तो अभी बाक़ी है, दोस्त!

(व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा) हम तो पहले ही कह रहे थे, ये इंडिया वाले क्या…

मई 1, 2024

आज के दौर में ट्रेड यूनियन आंदोलन और चुनौतियां

(अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस पर विशेष आलेख : संजय पराते) आजादी के आंदोलन में ट्रेड यूनियनों…

मई 1, 2024