लखनऊ: यूपी की बाराबंकी में रहने वाली 13 साल की नाबालिग बलात्कार पीड़िता के मामले में कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने पीड़ित और उसके बच्चे को लेकर राज्य सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी तय कर दी है, लेकिन परिवार अब भी आरोपियों की धमकी से दहशत में है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पीड़ित को मिले 3 लाख रुपये के अलावा राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि पीड़ित लड़की के नाम 10 लाख रुपये की एफडी कराए। नवजात बच्ची को गोद लेने के लिए चाइल्ड वेलफेयर कमेटी को सौंपा जाए। पीड़ित लड़की का दाखिला कस्तूरबा गांधी विद्यालय में कराये। रहने और खाने का बंदोबस्त भी सरकार ही करेगी। पीड़ित की इंटर और ग्रेजुएशन की पढ़ाई भी मुफ्त होगी और पढ़ाई पूरी होने पर सरकार पीड़ित को नौकरी देगी।

पीड़ित बच्ची के पिता ने फैसले पर खुशी जताई है, लेकिन डर अभी बाकी है हालांकि कोर्ट ने पीड़ित परिवार की सुरक्षा की जिम्मेदारी जिले के कलेक्टर और एसपी को सौंपी है।

पीड़ित लड़की के पिता ने कहा, हमें यह खुशी है कि हमें न्याय मिला, लेकिन हमारी जान को खतरा है। हमें डर है, क्योंकि विपक्षी दबंग हैं और वह हमारी बेटियों को धमकाते हैं। वह कहते हैं कि हम दोबारा भी यही गलत काम तुम्हारी और बेटियों के साथ करेंगे और फिर तुम दोबारा सरकार से पैसा ले लेना। विपक्षी के रिश्तेदार वकील हैं और जब भी हमारे घर कोई आता है तो उसे धमकाते हैं। जब हमारे परिवार के लोग घर से निकलते हैं तो उन्हें भी धमकाते हैं इसीलिए हमने थाने में अर्जी दी है।

दरअसल, बीते हफ्ते पीड़ित लड़की ने एक बच्ची को जन्म दिया है, जिसे गोद लेने कई लोग सामने आ चुके हैं। इनमें से कुछ लोग मंगलवार को कोर्ट परिसर में भी मौजूद थे।  

यह घटना बीती 17 फरवरी की है। जब बाराबंकी के एक गांव में पीड़ित बच्ची के साथ रेप हुआ, लेकिन घरवालों को इसका पता पांच महीने बाद लड़की की तबीयत बिगड़ने के बाद चला। इस बीच गर्भपात की इजाज़त को लेकर जब तक पीड़ित परिवार इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचा तब तक काफी देर हो चुकी थी और डॉक्टरों की टीम ने इससे मना कर दिया।