नई दिल्ली: बिहार में अंतिम दो चरणों का मतदान बाकी है और अब आरएसएस ने यह तय कर लिया है कि मतों का आकर्षित करने के लिए हिंदुत्व की रणनीति अपनाना चाहिए। बीजेपी के सूत्रों का कहना है कि इसी रणनीति के तहत पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने एक चुनावी रैली में यह बयान दिया है कि यदि बीजेपी बिहार में चुनाव हारती है तो पाकिस्तान में पटाखे फोड़े जाएंगे।

बीजेपी अध्यक्ष शाह के इस बयान के बाद विपक्षी दलों के नेताओं से तीखी प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई है। जेडीयू नेता केसी त्यागी ने एनडीटीवी से कहा कि बीजेपी ने चुनाव की शुरुआत विकास के मुद्दे से की थी, लेकिन अब जैसे ही उसके चुनाव में पीछे होने की खबरें आने लगी हैं वैसे ही बीजेपी ने प्रचार को सांप्रदायिकता से जोड़ने का काम शुरू कर दिया है।

तीन दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस के महागठबंधन पर दलितों, महादलितों तथा पिछड़ों और महापिछड़ों के हिस्से के आरक्षण कोटे को कम करने की साजिश करने का आरोप लगाया था। उनका यह इशारा मुस्लिम आरक्षण के संबंध में कांग्रेस के बयान की ओर था। कांग्रेस पार्टी के नेता ने कथित तौर पर इस प्रकार का बयान उत्तर प्रदेश में दिया था।

सूत्र बता रहे हैं कि आरएसएस अब अंतिम दो चरणों के चुनाव के लिए अपने हजारों स्वयं सेवकों को यह प्रचार के लिए घर घर भेजेगी कि यदि एनडीए की हार होती है तो यह हिन्दू स्वाभिमान की हार होगी और इससे उनकी सुरक्षा पर भी सवाल खड़े होंगे।

सूत्र बता रहे हैं कि इस प्रकार के प्रचार का केंद्र दलित और पिछड़ा वर्ग के लोग होंगे। इन दोनों समुदाय का मतप्रतिशत 50 प्रतिशत से ज्यादा है। आरएसएस और बीजेपी के नेताओं का दावा है कि इससे आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण के संबंध में दिए गए बयान पर विरोधियों द्वारा इन मतों को लामबंद करने में जो मदद मिली उसे काटा जा सकेगा।

नीतीश कुमार और लालू यादव ने आरोप लगाया था कि बीजेपी का इरादा है, आरक्षण को समाप्त किया जाए। इस प्रकार के आरोप लगने के बाद बीजेपी नेताओं को इस खबर के खंडन में बयान देना पड़ा था।

सूत्र यह भी बता रहे हैं कि बीजेपी की इस प्रकार की चुनावी रणनीति में बदलाव के बारे में करीब 15 दिन पहले ही निर्णय लिया जा चुका था।

कहा जा रहा है कि अपने हिंदुत्व एजेंडे को परोक्ष रूप से इस्तेमाल करने के लिए आरएसएस ने बिहार से सटे झारखंड के रांची में तीन दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया है। इस सम्मेलन में धार्मिक आधार पर जनगणना की रिपोर्ट पर चर्चा होगी और हिन्दुओं की तुलना में मुस्लिम आबादी के तेजी से बढ़ने के मुद्दे पर भी चर्चा होगी।

उल्लेखनीय है कि जनगणना के आंकड़े बताते हैं कि मुस्लिमों की आबादी बढ़ी है जबकि पहली बार देश में हिंदुओं की आबादी में कुछ गिरावट दर्ज की गई है और यह 80 करोड़ के आंकड़े से नीचे आ गई है। आरएसएस के सूत्र बता रहे हैं कि कार्यकारिणी इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त करते हुए एक प्रस्ताव भी पारित कर सकती है।