भारत में लक्जरी कार खरीदार नए वाहन की खरीदारी प्रक्रिया में तेजी से जुटे हुए हैं . यह तथ्य आज जेडी पावर  2015 इंडिया सेल्स सैटिसफेक्शन इंडेक्स (एसएसआई) स्टडी से सामने आया है.

अपने 16 वें वर्ष में इस स्टडी ने सात कारकों की जाँच (महत्व के क्रम में सूचीबद्ध) की है जिसने बिक्री अनुभव में नए वाहन मालिकों के बीच समग्र संतुष्टि में योगदान दिया है. ये कारक है- डिलिवरी प्रक्रिया, डिलिवरी समय, विक्रेता,  सेल्स इनिशिएशन,  डीलर सुविधा, कागजी कार्रवाई और सौदा. इस सैटिसफेक्शन की 1000 प्वायंट पैमाने पर गणना की गई है. लक्जरी सेगमेंट में कुल बिक्री संतुष्टि 2015 में 883 रहा जबकि  2014 से यह 7 कम है. 

गलतफहमी यह है कि भारत में लक्जरी वाहन खरीदार, खरीद प्रक्रिया के दौरान बहुत कम समय और प्रयास खर्च करते हैं और ये मास मार्केट के वाहन खरीददारों से अधिक समृद्ध होते हैं और अक्सर कई वाहनों के मालिक होते  हैं. अध्ययन से विपरीत सच का पता चलता है. स्टडी के मुताबिक भारत में लक्जरी वाहन खरीदार ओवर आल खरीद अनुभव में ज्यादा शामिल होते है. इन खरीदारों में से एक-तिहाई (35 फीसदी), इंटरनेट पर सर्च करने वाले 45 फीसदी की तुलना में, अन्य मॉडलों के लिए आसपास की दुकान में जाते है. इसके अलावा, लक्जरी वाहन खरीदार वाहन खरीदने से पहले कम से कम तीन डीलरशिप के पास जाते है. इनमेँ से अस्सी फीसदी टेस्ट ड्राइविंग करते है. 

मोहित अरोड़ा, कार्यकारी निदेशक, जेडी पावर, सिंगापुर ने कहा कि भारत में लक्जरी वाहन की खरीद वित्तीय और सामाजिक स्थिति को बताता है. इस तथ्य को देखते हुएडीलरशिप के लिए खरीद प्रक्रिया के दौरान सक्रिय संचार को रचनात्मक ढंग से प्रस्तुत करना होगा. ऐसा करना समझदारी होगी. डीलरशिप को स्पष्ट रूप से शानदार खरीद अनुभव देने के लिए प्रक्रियाओं की पहचान करने और लागू करने की जरूरत है.