13 वें राष्ट्रीय पुस्तक मेले का सांस्कृतिक पंडाल बना आकर्षण का केंद्र  

लखनऊ: राजधानी का मोती महल लॉन इन दिनों राष्ट्रीय पुस्तक मेले की वजह से गुलज़ार है. ग्यारह बजते-बजते लिखने-पढ़ने से ताल्लुक रखने वालों की पुस्तक मेले में आवाजाही शुरू हो जाती है. जैसे-जैसे घड़ी की सूइयां आगे बढ़ती हैं वैसे-वैसे लोगों का हुजूम बढ़ता जाता है. पुस्तक मेले का सांस्कृतिक पंडाल यहाँ आने वालों के खास आकर्षण का केन्द्र बना रहता है.

मोती महल लॉन में पहली अक्टूबर से शुरूइस राष्ट्रीय पुस्तक में देश के नामचीन 65 प्रकाशकों के स्टालों पर तरह-तरह की किताबें मौजूद हैं. ओशो रजनीश की किताबों और सीडी के इस बार दो स्टाल हैं. दोनों पर लोग जुट रहे हैं और आचार्य रजनीश की किताबें और सीडी खरीद रहे हैं. ओशो के स्टाल पर सम्भोग से समाधि की ओर, मैंने राम रतन धन पायो, एक-एक क़दम, कहें कबीर मैं पूरा पाया, मैं कहता आंखन देखी, सहज योग, कौन हैं ओशो, मैं मृत्यु सिखाता हूँ, काहे होत अधीर, गीता दर्शन और साधना पथ जैसी 300 से ज्यादा पुस्तकें हैं लेकिन यहाँ आने वालों का आकर्षण सम्भोग से समाधि की ओर या फिर कबीर में ही है.

राष्ट्रीय पुस्तक मेले के आयोजक देवराज अरोड़ा और उमेश ढल ने बताया कि यहाँ आने वालों का पुस्तकों और लेखकों में बराबर का आकर्षण है. लोग यहाँ आते हैं तो पुस्तकें भी खरीदते हैं और लेखकों के विचार भी सुनते हैं. तमाम लोग लेखकों से सवाल पूछकर अपनी जिज्ञासाएं भी शांत करते हैं.

पुस्तक मेले के सांस्कृतिक पंडाल में आज अखिलेश निगम अखिल के कहानी संग्रह गिरगिट और दोहा संग्रह दोहा सप्तशती का लोकार्पण समारोह आयोजित हुआ. उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. उदय प्रताप सिंह इस समारोह में मुख्य अतिथि थे. कथाक्रम के संपादक शैलेन्द्र सागर ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की. उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान के महामंत्री दिनेश अवस्थी और सेवा निवृत्त आई.ए.एस. विनोद चन्द्र पाण्डेय विनोद बतौर विशिष्ट अतिथि यहाँ मौजूद रहे. डॉ. उदय प्रताप सिंह ने अखिलेश निगम की कहानी और कविता दोनों क्षेत्रों में सामान रूप से काम करने के लिए प्रशंसा की. दोहा सप्तशती में 40 विषयों पर 750 दोहे हैं.

शैलेन्द्र सागर ने अखिलेश अखिल के कहानी संग्रह गिरगिट की कहानियों को समकालीन बताते हुए उसे सामजिक सरोकारों से जुड़ी कहानियां बताया.

राष्ट्रीय पुस्तक मेले में आज माध्यम साहित्यिक संस्थान और वलेस के संयुक्त तत्वावधान मंं व्यंग्य गद्य पाठ और व्यंग्य विमर्श का आयोजन भी किया गया. वरिष्ठ व्यंग्यकार गोपाल चतुर्वेदी की अध्यक्षता में आयोजित इस गोष्ठी में आलोक शुक्ल, के.कान्त अस्थाना, अनूप मणि त्रिपाठी, पंकज प्रसून, अलंकार रस्तोगी, इन्द्रजीत कौर, संजीव जायसवाल संजय और संदीप सक्सेना ने व्यंग्य पाठ किया. वरिष्ठ पत्रकार सुधीर मिश्र ने व्यंग्य पाठ के साथ-साथ व्यंग्य विमर्श में भी भाग लिया.

गोपाल चतुर्वेदी ने लखनऊ में हिन्दी व्यंग्य के केन्द्र में आने का स्वागत करते हुए इस बात पर खुशी ज़ाहिर की कि आजकल अखबारों में व्यंग्य के कालम प्रकाशित हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि लखनऊ के व्यंग्यकार पूरे देश में व्यंग्य की अलग पहचान बना रहे हैं. कार्यक्रम का संचालन  अलोक शुक्ल ने और धन्यवाद ज्ञापन माध्यम के महामंत्री अनूप श्रीवास्तव ने किया.

पुस्तक मेले में आज सुप्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. सूर्यकान्त ने फेफड़े के रोगों पर विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने कहा कि इससे बचने के लिए घर का बना खाना खाना चाहिए. बच्चों को फ़ास्ट फ़ूड से बचाना चाहिए. डॉ. सूर्यकान्त ने कहा कि सिगरेट का धुआं और धूल फेफड़े को बहुत नुकसान पहुंचाती है. बेहतर यह है कि सिगरेट पीने वाले सिगरेट से पीछा छुड़ा लें.

आज यहाँ राकेश कुमार मित्तल की कृतियों पर विद्वानों ने विस्तार से चर्चा की. राकेश कुमार मित्तल ने इंसानियत को सबसे बड़ा धर्म मानते हुए जो लेखन का काम किया है वह नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का विषय है.

पुस्तक मेले के सांस्कृतिक पंडाल में आज निरंकारी सत्संग समारोह का आयोजन भी किया गया. सत्संग समारोह में कहा गया कि महसूस यह होता है कि आज सारा संसार भक्ति कर रहा है लेकिन यह भक्ति गफलत में हो रही है. क्योंकि एक छोर पर भक्त तो मौजूद है लेकिन दुसरे छोर पर भगवान का पता नहीं है.

हमारे वेड, शास्त्र, पुराण कह रहे हैं कि ईश्वर कण-कण में बसा है. वह डाली-डाली पत्ते-पत्ते में है. वह हर जगह व्याप्त है. फिर भी दिखता क्यों नहीं जैसी जिज्ञासाओं को निरंकारी बाबा हरदेव सिंह जी महाराज ने शांत किया. उन्होंने मानव जीवन के लक्ष्य को हासिल करने का रास्ता बताया. बाबा हरदेव सिंह ने कहा कि भक्ति की पहली सीढ़ी ही परमात्मा का दर्शन है. उन्होंने कहा कि मानव द्वारा किये गए सभी काम कर्मकांड की श्रेणी में आते हैं. जबकि आज सारा संसार भ्रमवश यह मान बैठा है कि वह जो पूजा पाठ कर रहा है वह भक्ति है. उन्होंने कहा कि परमात्मा को जानना कतई असंभव नहीं है बशर्ते हम परमात्मा को जानने वाले सतगुरु को तलाश कर लें.

पुस्तक मेले में कल 

हमारा वास्तु हमारी नई राह विषय पर सुमन अग्रवाल की चर्चा पूर्वाह्न 11 बजे से 12 बजे तक 

अखिलेश निगम अखिल की हमारी धरती पत्रिका के नशा मुक्ति विशेषांक का लोकार्पण और नशा मुक्ति पर गद्य पाठ दोपहर 12.30 बजे से 1.30 बजे तक 

माध्यम साहित्य संस्थान की ओर से काव्यपाठ दोपहर 2 बजे से 3.30 बजे तक 

प्रकाशन संस्थान की ओर से वरिष्ठ साहित्यकार कामतानाथ की पुस्तक काल कथा के चार खण्डों का लोकार्पण शाम 4 बजे से 5 बजे तक 

संगीत गुरु बसंत सैकिया की पुस्तक मेरे सिवा किसने देखा का लोकार्पण शाम 5.30 बजे से 6.30 बजे तक 

लोकांजलि सांस्कृतिक ग्रुप द्वारा गीत-संगीत का कार्यक्रम शाम 7 बजे से 9 बजे तक