पटना: पटना में रविवार को पूर्व सैनिकों के एक कार्यक्रम में वन रैंक वन पेंशन के मुद्दे पर बोलते हुए वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने पीएम नरेंद्र मोदी और वित्तमंत्री अरुण जेटली पर जमकर निशाना साधा। इसके बाद यहां हंगामा भी हुआ।

जेठमलानी ने कहा कि आज उन्हें इस बात का पछतावा है कि वह पीएम मोदी और अरुण जेटली जैसे लोगों के झांसे में आ गए और अब उनका मकसद इन लोगों को सत्ता से बेदखल करना है और इसकी शुरुआत बिहार चुनाव से होनी चाहिए। जेठमलानी की इस बात पर कार्यक्रम में मौजूद पूर्व सैनिक अनिल सिन्हा भड़क गए और उन्होंने जमकर बवाल काटा।

इस कार्यक्रम में जेठमलानी ने कहा, आज मैं प्रायश्चित करने के लिए यहां आया हूं। मैं माफी चाहता हूं कि वकील होकर भी अरुण जेटली और पीएम मोदी के हाथ आ गया। मैं शर्मिंदा हूं। मैंने ऐसे बेईमान लोगों का साथ दिया। अब मैं बदला लेना चाहता हूं। मुझे आपकी (पूर्व सैन्यकर्मी) मदद की जरूरत है। उनको शिकस्त देने की शुरुआत बिहार चुनाव से होनी चाहिए।

जेठमलानी ने यह भी कहा कि अगर उन्हें वोट करना हो तो बीजेपी और मोदी को बाहर करने के लिए वह नीतीश कुमार को वोट करेंगे। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी का समर्थन उन्होंने इसलिए किया कि वे सोचते थे कि उनकी सरकार कालाधन मुद्दे पर गंभीरता से काम करेगी।

जेठमलानी की इस मांग पर एक पूर्व सैनिक अनिल सिन्हा भड़क गए और उन्होंने ओआरओपी पर चर्चा के बीच में बिहार चुनाव की बात करने को लेकर जेठमलानी का विरोध करते हुए हंगामा किया। हालांकि बाद में पूर्व सैनिकों के संगठन यूनाइटेड फ्रंट ऑफ एक्स सर्विसमेन के सदस्यों ने अनिल सिन्हा को कार्यक्रम स्थल से बाहर कर दिया।

दरअसल जेठमलानी इस बात से नाराज़ हैं कि मोदी ने लोकसभा चुनावों में जो वादा किया था, वह पूरा नहीं किया। उनका कहना है कि केंद्र सरकार काले धन के मुद्दे पर गंभीर नहीं हैं, इसलिए वह जेडीयू के साथ मिलकर काले धन को चुनावी मुद्दा बनाना चाहते हैं। इसी सिलसिले में शनिवार को जेठमलानी की बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात भी हो चुकी है।

उधर यूनाइटेड फ्रंट ऑफ एक्स सर्विसमेन ने रविवार को पटना में ऐलान कर दिया कि वह इस मुद्दे पर एनडीए सरकार के दोहरे रुख को आम लोगों तक ले जाएंगे। यूनाइटेड फ्रंट के अध्यक्ष मेजर जनरल (रिटायर्ड) सतबीर सिंह ने कहा, ‘हमने फैसला किया है कि जहां-जहां भी तो चुनाव है वह जाकर लोगों को सचेत करेंगे कि जो सरकार वादे करके तोड़ती है उसके बारे में सोच समझ कर ही उन्हें वोट करना चाहिए।

इसके साथ ही संगठन ने पूर्व सैनिकों से अपील की है कि वह उसी पार्टी को समर्थन करें, जो ओआरओपी के मुद्दे को आगे ले जाने में सक्षम है और जहां-जहां भी पूर्व सैनिक चुनाव लड़ रहे हैं वहां उनका खुल कर समर्थन करें।