लखनऊ। उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में याचिका दायर कर पंचायत चुनाव समय सीमा में न कराए जाने के कारण संवैधानिक संकट का खतरा बताकर राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की गयी है। इस पर मुख्य न्यायमूर्ति धंनजय यशवंत चंद्रचूड़ व न्यायमूर्ति श्रीनारायण शुक्ला की पीठ ने केंद्र व राज्य सरकारों और राज्य निर्वाचन आयोग से 15 अक्टूबर तक जवाब मांगा है।
याची नीरज शंकर की ओर से दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि प्रदेश मे पंचायत चुनाव समय सीमा में न कराये जाने से संवैधानिक संकट उत्पन्न हो गया है। मांग की गई है कि इस मामले को देखते हुए मौजूदा परिस्थितियों में प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाना चाहिए। याचिका में पंचायत राज अधिनियम की वैधता को भी चुनौती देते हुए कहा गया है कि राज्य सरकार को आरक्षण व सीटों के बंटवारे आदि का अधिकार नहीं है। इस पर न्यायालय ने अभी राष्ट्रपति शासन के आदेश तो नहीं दिए, किन्तु इस मुद्दे पर केंद्र व राज्य सरकार के साथ राज्य निर्वाचन आयोग से 15 अक्टूबर को जवाब मांगा है। पंचायती राज अधिनियम को चुनौती देने के मसले पर महाधिवक्ता की उपस्थिति के लिए भी नोटिस जारी की गयी है।
पंचायत चुनाव मे नामांकन पत्र सहित अन्य दस्तावेजों में किन्नरों के लिए अलग कॉलम बनाया जाएगा। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति धनंजय यशंवत चंद्रचूड़ व न्यायमूर्ति श्रीनारायण शुक्ला की खंडपीठ ने अधिवक्ता सतीश कुमार मिश्रा की ओर से दायर जनहित याचिका पर दिए हैं। याचिका में कहा गया था कि चुनाव में किन्नर प्रत्याशियों के लिए अलग से कॉलम नहीं है। इससे उनके नामांकन फार्म भरने से लेकर अन्य प्रक्रियागत परेशानी होगी। अदालत ने निर्वाचन आयोग को निर्देश दिए कि किन्नरों के लिए अलग कॉलम निर्धारित किया जाए, जिससे वे चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा ले सकें।
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