नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के जरिए आज देश को संबोधित करते हुए कहा कि ‘मन की बात, एक वर्ष और अनेक बातें। मैं नहीं जानता आपने क्‍या पाया, लेकिन मैंने बहुत कुछ पाया। लोकतंत्र में जनशक्ति का अपार महत्‍व है और इसमें मेरा अपार विश्‍वास रहा है। मन की बात ने मुझे बहुत कुछ सिखाया और मैंने अनुभव किया की जनशक्ति अपरंपार होती है।’

पीएम ने कहा, ‘मन की बात के लिए लाखों की तादाद में लोगों द्वारा सक्रिय होकर सुझाव देना, अपने आप में बहुत बड़ी शक्ति है। लोगों के सुझाव देते लाखों पत्रों ने मुझे बहुत बड़ा पाठ पढ़ाया। मैं आकाशवाणी का भी अभिनन्दन करता हूं कि उन्होंने इन सुझावों को सिर्फ एक कागज़ नहीं माना, बल्कि एक जन-सामान्य की आकांक्षा माना। आकाशवाणी ने इसके बाद कार्यक्रम किए और सरकार के भिन्न-भिन्न विभागों को आकाशवाणी में बुलाकर जनता की बातें उनके सामने रखीं। सरकार के अलग-अलग विभागों ने इन पत्रों का विश्‍लेषण किया। भला ‘मन की बात’ जानकारियों का स्रोत, बन जाएगा, ये किसी ने कहां सोचा था।’ प्रधानमंत्री ने आगे कहा, मन की बात कार्यक्रम ने समाज-शक्ति की अभिव्यक्ति का एक अवसर बना दिया है।

पीएम ने कहा, ‘जब कोई #selfie with daughter करता था, तब अपनी बेटी का तो हौसला बुलंद करता था, लेकिन अपने भीतर भी एक कमिटमेंट पैदा करता था। यह एक मूक क्रांति थी। उन्‍होंने कहा, पिछली गांधी जयंती को मैंने प्रार्थना की थी #KhadiforNation और लोगों को मैंने आग्रह किया था कि आप खादी खरीदिए। पिछले एक वर्ष में खादी की बिक्री डबल हुई है और ये कोई सरकारी विज्ञापन से नहीं हुआ है। जन-शक्ति का एक एहसास, एक अनुभूति है।’

पीएम ने सरकार और जनता के बीच सामंजस्‍य के विषय में कहा कि ‘सरकारों को भी सबक सीखना होगा कि हमारी सरकारी चौखट में जो काम होता है, उसके बाद एक बहुत बड़ी जन-शक्ति का एक सामर्थ्यवान, ऊर्जावान समाज हैI सरकारें जितनी समाज से जुड़कर चलती हैं, उतनी ज्यादा समाज में बदलाव के लिए एक अच्छी केटेलिटिक एजेंट के रूप में काम कर सकती हैं।’

प्रधानमंत्री ने बताया कि तीस लाख परिवारों ने गैस-सिलिंडर की सब्सिडी छोड़ दी है और ये अमीर लोग नहीं हैं। ये अमीर लोग नहीं हैं। एक रिटायर्ड टीचर, विधवा महिला, क़तार में खड़ी थी सब्सिडी छोड़ने के लिए। क्या ये साइलेंट रिवोल्यूशन नहीं है।

प्रधानमंत्री ने कहा, देश के नागरिकों का सकारात्मक सोच लेकर चलना देश के लिए बड़ी पूंजी है। जनता का हर संदेश बहुत महत्वपूर्ण है और सरकार उनके सुझावों पर ज़रूर काम करेगी। ये अपने-आप में एक सुखद अनुभव है। पीएम ने बताया कि सभी उम्र के लोगों ने उन्‍हें संदेश दिए और कुछ संदेशों को उन्‍होंने खुद सुनना पसंद किया और खुशी जताते हुए कहा कि देश में सियाचिन से लेकर कन्याकुमारी तक करीब 55,000 से ज़्यादा फ़ोन कॉल्स आए।

पीएम ने जनता से आग्रह करते हुए कहा कि ‘हमें स्वच्छता आन्दोलन को कमियों के रहते भी आगे बढ़ाना है। लोगों में स्वच्छता के प्रति जागरूकता आई है और ये सरकारों को भी काम करने के लिए मजबूर करेगी। मुझे भी बहुत-कुछ सुनना पड़ता है कि मोदी जी स्‍वच्‍छता की बड़ी-बड़ी बातें करते थे, लेकिन क्या हुआ? मैं इसे बुरा नहीं मानता हूं। हमें स्वच्छता को एक स्वभाव भी बनाना चाहिए और स्वच्छता के लिए व्यवस्थाएं भी बनानी चाहिए। हमें 2019 तक स्‍वच्‍छता मिशन को पूरा करना है।’

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से दिल्‍ली में इंडिया गेट के पास आयोजित ‘शौर्यांजलि’ प्रदर्शनी को भी देखने के लिए कहा। उन्‍होंने कहा कि प्रदर्शनी के हाजीपीर पास के जीत के दृश्यों को देखने पर रोमांच होता है और अपनी सेना के जवानों के प्रति गर्व भी होता है।

 उन्‍होंने अलवर से एक व्‍यक्ति द्वारा दिवाली पर मिट्टी के दीयों का प्रयोग करने के दिए गए सुझाव को भी सराहा और लोगों से ऐसा करने का अनुरोध करते हुए कहा कि इससे पर्यावरण को लाभ होगा और कुम्हार भाइयों को भी रोज़गार मिलेगा।

 प्रधानमंत्री ने युवा पीढ़ी को वोटर्स रजिस्ट्रेशन के बारे में जागृत करने के एक सुझाव को सराहते हुए कहा कि ‘आज हमारा इलेक्शन कमीशन सिर्फ़ रेगुलेटर नहीं रहा है, फैसिलिटेटर बन गया है और वोटर-फ्रेंडली बन गया है। ये बहुत अच्छा बदलाव आया है। पीएम ने मतदान का परसेंटेज और जागरूकता बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग को भी बधाई दी।’ हालांकि उन्‍होंने लोगों ने कहा कि ‘लेकिन सिर्फ़ चुनाव आयोग काम करता रहे, इससे चलने वाला नहीं है। मतदाता सूची अपग्रेड होती रहनी चाहिए, हमें भी देखते रहना चाहिए। पहले मतदान, फिर जलपान, इतना पवित्र काम है जो हर किसी को करना चाहिए।’