नई दिल्ली : एक मुस्लिम सामाजिक कार्यकर्ता ने दावा किया है कि कई मुफ्ती, इमाम और इस्लामी विद्वानों ने पश्चिम एशिया के आतंकवादी संगठन आईएस के नेताओं, लड़ाकों और समर्थकों के खिलाफ फतवा जारी किया है। इसके साथ ही उन्होंने आतंकवादी संगठन आईएस की गतिविधियों को इस्लाम के मूल सिद्धांतों के खिलाफ बताया।

मुंबई के इस्लामिक डिफेंस साइबर सेल के अध्यक्ष अब्दुर रहमान अंजारिया ने एक बयान में दावा किया कि पिछले कुछ महीनों में उन्होंने मुस्लिम विद्वानों और नेताओं के फरमान एकत्र किए हैं। फरमान में कहा गया है कि इस्लाम हिंसा से परहेज करता है जबकि आईएसआईएस हिंसा को बढ़ावा देता है।

इसमें अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अनुरोध किया गया है कि इस आतंकवादी समूह को समाप्त करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं जिसने क्षेत्र में अशांति पैदा कर दी है और इसकी पहुंच दक्षिण एशियाई क्षेत्र में बढ़ रही है। ये फतवा 15 खंडों में हैं और इसकी प्रतियां संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून तथा अन्य नेताओं को भेजी गयी हैं ताकि आईएसआईएस की गतिविधियों पर भारतीय मुस्लिमों के विचारों से उन्हें अवगत कराया जा सके। अंजारिया ने दावा किया कि 1050 से ज्यादा भारतीय इस्लामी विद्वानों और धर्मगुरूओं ने आईएस के खिलाफ फतवा जारी किया है और कहा है कि उसके विचार ‘गैर इस्लामी और अमानवीय’ हैं।