लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा लोकायुक्त चयन पर राज्यपाल और मुख्य न्यायधीश पर टिप्पणी जातिवादी, क्षेत्रवादी और संकुचित सोच को उजागर करती है और यह धारणा मजबूत होती है कि मुख्यमंत्री लडकप्पन में ही न्यायपालिका का अपमान कर रहे है। प्रदेश सरकार द्वारा लोकायुक्त चयन की परिवर्तित समिति में प्रदेश मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, नेता विपक्ष, सलाहकार सदस्य के रूप में सेवानिवृत्त न्यायधीश को रखना। प्रदेश सरकार की नीयत को उजागर करता है। यह भष्टाचार पर पर्दा डालने की सपा सरकार की कावयद है। 

भारतीय जनता पार्टी प्रदेश मुख्यालय में पत्रकारों से चर्चा करते हुए प्रदेश प्रवक्ता डा0 चन्द्रमोहन ने कहा प्रदेश में एक दर्जन से अधिक शीर्ष पदो पर मैनपुरी, इटावा मूल के लोग कार्यरत लेकिन कभी किसी ने कोई आपत्ति नहीं उठायी।

प्रदेश प्रवक्ता डा0 चन्द्रमोहन ने कहा कि मुख्यमंत्री सरकार की कार्यप्रणाली सुधारने और पारदर्शी व्यवस्था बनाने में पूरी तरह विफल है। प्रदेश सरकार की लोकायुक्त नियुक्त प्रकरण के माध्यम से जनता में भ्रष्टाचार समर्थक छवि बनी हैं मुख्यमंत्री जातिवादी और क्षेत्रीयता की चर्चा कर लोकायुक्त नियुक्ति प्रकरण को भटकाना चाहते है।

प्रदेश प्रवक्ता डा0 चन्द्रमोहन ने कहा कि प्रदेश की सपा सरकार की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता दूर तक नहीं है पिछले तीन वर्षो में जिस तरह सरकारी खजाने की बंदरबाट की है और उसको अनवरत जारी रखने के लिए कमजोर और कठपुतली लोकायुक्त जैसी संस्था बनाने की साजिश रची जा रही हैं

प्रदेश प्रवक्ता ने मुख्यमत्री से सवाल करते हुये पूछा कि मुख्यमंत्री बताये कि प्रदेश में केलव इटावा, सफैई, मैनपुरी, कन्नौज, बदायंू, रामपुर, फिरोजाबाद, आजमगढ़ ही सरकार की वरीयता में क्यों है। जिन जिलो में सर्वाधिक बिजली चोरी उनको ही क्यों बिजली आपूर्ति में प्राथमिकता दी जा रही है।

प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री बताये कि प्रदेश सरकार द्वारा चन्द जिलों में जो धन खर्च किया गया वह कितना है, सैफई महोत्सव का खर्च कितना है। सरकार की प्राथमिकता कुछ जिले ही क्यो है। मुख्यमंत्री पूरे प्रदेश के होते है उनकी जिम्मेदारी सम्पूर्ण प्रदेश की होनी चाहिये उनके द्वारा जाति और क्षेत्र की बात प्रदेश की जनता का अपमान है।