नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अयोध्या मसले को निपटाने में चाहे पांच साल लगें या 15 साल, इसे निपटाना होगा। पक्षों को इसके समाधान के लिए बैठना ही होगा। इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए।
ये टिप्पणियां करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अयोध्या में अस्थायी रामलला मंदिर के तिरपाल बदलने के आदेश दे दिया। ये तिरपाल फट गए थे जिसके बारे में स्थानीय कोर्ट कमिश्नर ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी थी।
जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने सरकार और पक्षों से कहा कि वह मामले के डिजिटल रिकार्ड ले लें जिससे मुकदमे की सुनवाई शुरू की जा सके। हिन्दू और मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इस फैसले में 8000 पेज हैं और कई सौ दस्तावेज हैं, जिन्हें डिजिटाइज्ड किया जा रहा है।
मवार को सुन्नी बोर्ड की ओर से अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि उन्हें फैसले की डिजिटल कापी नहीं मिली है जबकिफैसला आए पांच साल से गए हैं। इस तरह से यह मुकदमा जल्द कैसे निपटेगा। कोर्ट ने कहा कि वह रजिस्ट्री में संपर्क कर इलेक्ट्रानिक कापी प्राप्त करें। जहां तक समय लगने की बात है तो इसमें चाहे पांच साल लगें या 15 साल मुकदमा तो निपटाना ही पड़ेगा और पक्षों को इसके लिए बैठना ही होगा।
यह कहकर पीठ ने सुनवाई स्थगित कर दी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसले में विवादित स्थल को तीन हिस्सों में बांट दिया था जिसे हिन्दू और मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। दोनों पक्षों ने इस पर पूर्ण अधिकार का दावा किया है और हाईकोर्ट के फैसले को गलत बताया है।
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