सिडबी का मुख्यालय लखनऊ में ही स्थापित रखने का अनुरोध

लखनऊ:उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) का मुख्यालय पूर्ण रूप से लखनऊ में ही स्थापित रखने और प्रधान कार्यालय के जो विभाग मुम्बई स्थानान्तरित कर दिए गए हैं उन्हें भी तत्काल लखनऊ लाने और प्रबन्ध निदेशक का कार्यालय भी लखनऊ में ही स्थापित करने का अनुरोध किया है।

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में कहा कि इससे प्रदेश के लघु उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, अन्य व्यावसायिक एवं आर्थिक गतिविधियां भी तेज होंगी, जिससे न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि अन्य निकटवर्ती पिछड़े राज्यों का आर्थिक विकास भी सम्भव हो सकेगा। 

श्री यादव ने प्रधानमंत्री को अवगत कराते हुए कहा कि वर्ष 1990 में भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) अधिनियम, 1990 पारित कर उत्तर प्रदेश के धीमे औद्योगीकरण को दृष्टिगत रखते हुए सिडबी का प्रधान कार्यालय लखनऊ में रखने का निर्णय लिया गया था। यह भी उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में भारत सरकार द्वारा स्थापित सिडबी ही एक मात्र राष्ट्रीय स्तर का वित्तीय संस्थान है। 

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को पत्र में सूचित किया कि सिडबी मुख्यालय के लिए भवन एवं अन्य अवस्थापना सुविधाएं तथा अधिकारियों/कर्मचारियों के लिए आवासों आदि का भी निर्माण कराया गया था। सिडबी के कार्याें एवं उत्तरदायित्वों में वृद्धि के साथ प्रबन्ध तंत्र द्वारा शनैः-शनैः प्रधान कार्यालय के महत्वपूर्ण कार्यदायी विभाग वर्ष 2003 से मुम्बई स्थानान्तरित कर दिए गए। वर्तमान स्थिति यह है कि प्रधान कार्यालय के माइक्रो/सरकारी योजनाएं/हिन्दी अनुभाग/क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक/अर्बन को-आॅपरेटिव बैंक से सम्बन्धित केवल एक ही विभाग लखनऊ में क्रियाशील है एवं समस्त महत्वपूर्ण विभाग (कुल 12) जैसे-नियोजन, बजटिंग, एच0आर0, क्रेडिट, लेखा, विधि, ऋण, पुनर्वित्त, ट्रेजरी मुम्बई कार्यालय से ही संचालित किए जा रहे हैं।

श्री यादव ने कहा कि अब सुनियोजित ढंग से सिडबी के प्रधान कार्यालय को पूरी तरह से लखनऊ से मुम्बई स्थानान्तरित करने का प्रयास किया जा रहा है। ज्ञात हुआ है कि सिडबी के नए आवासीय भवनों की बिक्री भी प्रक्रियाधीन है। किसी भी संस्था का प्रधान कार्यालय एक ही होना चाहिए और उसके सभी विभाग एक स्थान पर ही होने चाहिए, क्योंकि पृथक-पृथक विभाग विभिन्न स्थानों पर होने से कार्य में अवरोध उत्पन्न होता है। उन्होंने बल देते हुए कहा कि प्रस्तावित व्यवस्था सिडबी एक्ट की मूल भावना के न केवल विपरीत होगी बल्कि यह उत्तर प्रदेश एवं लखनऊ के साथ नाइंसाफी भी होगी। 

मुख्यमंत्री ने पत्र में प्रधानमंत्री को यह भी अवगत कराया कि उच्च प्रबन्धन के अधिकारीगण मुम्बई कार्यालय में अपने व्यक्तिगत स्वार्थवश पदासीन हैं। संचालक मण्डल की बैठकें भी लखनऊ से अन्यत्र केन्द्रों पर आहूत की जाती हैं। सिडबी के अध्यक्ष/प्रबन्ध निदेशक/बैंक के निदेशकगण आदि भी राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ बेहतर समन्वय नहीं रखते हैं। सिडबी की वार्षिक रिपोर्ट वर्ष 2014-15 के परिशीलन से यह ज्ञात होता है कि सिडबी द्वारा संचालित कुल 14 योजनाओं में उत्तर प्रदेश का अंश प्रदेश की जनसंख्या का अनुपातिक नहीं है।