नई दिल्ली: 1993 बम धमाके का आरोपी याकूम मेमन को गुरुवार सुबह 6.19 मिनट पर फांसी दे दी गई। आज सुबह 5 बजे सुप्रीम कोर्ट ने उसकी फांसी रुकवाने के लिए दी गई याचिका ख़ारिज कर दी थी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने देर रात से सुबह पांच बजे तक चली ऐतिहासिक बहस के बाद याकूब को फांसी देने के फैसले को बरकरार रखा।
अपने फ़ैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याकूब मेमन को उसकी पहली दया याचिका के ख़ारिज होने के बाद अपने परिवार से आख़िरी बार मिलने और खुद को फांसी के लिए तैयार करने के लिए पर्याप्त समय दे दिया गया था।
तीन जजों की बेंच के मुताबिक राष्ट्रपति द्वारा मेमन की दया याचिका ख़ारिज करने के बाद उसे फिर से 14 दिनों का समय देना कहीं न कहीं न्याय का मज़ाक उड़ाना होता।
हमें नहीं लगता कि इस तरह के मामले में उसे और ज़्यादा समय देने की ज़रुरत है।
राष्ट्रपति द्वारा ख़ारिज की गई मेमन की पहली दया याचिका पर इस अदालत में बहस हो सकती थी या उसका यहाँ पर विरोध किया जा सकता था।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा मेमन की दया याचिका रद्द करने के बाद सरकारी वकील ने कहा, ‘मैंने अपना काम कर दिया है, ये मेरी जीत या हार का विषय नहीं है. ये सिर्फ़ एक कानूनी प्रक्रिया है।’
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