लखनऊ:  उ0प्र0 इलेक्शन वाच ने राजनीति में बढ़ते अपराधीकरण के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय जिसमें विधायक और सांसदों  जिनको अपराध आरोेपित (चार्ज फ्रेम) किया जा चुका है। उनके वादों का निस्तारण दो साल में प्राथमिकता से फास्ट ट्रेक कोर्ट में किया जायेगा। इसी को ध्यान में रखते हुए यूपी इलेक्शन वाच द्वारा इलाहाबाद उच्च न्यायालय में रिट पिटीशन किया है जिसमें उ0प्र0 में वर्तमान में अपराध आरोपित विधायकों के केसों को प्राथमिकता से सुना जाये। इस पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने रिट स्वीकृत की है और राज्य सरकार से 03 अगस्त 2015 तक जबाव मांगा है। एडीआर द्वारा इस बार उ0प्र0 के पंचायत चुनाव में राज्य निर्वाचन आयोग से नोटा के प्रयोग को लागू करने की मांग की है। साथ ही पंचायत चुनाव में लड़ने वाले प्रत्याशियों विधान सभा एवं लोकसभा की तर्ज शपथ पत्र को अनिवार्य बनाने के लिए चुनाव आयोग से मांग की जायेगी साथ ही इन शपथ पत्रों को सार्वजनिक किया जायेगा। एडीआर द्वारा राजनैतिक दलों के खर्चों की सीमा तय करने के लिए जनहित याचिका दायिर की गई है। जिसका निर्णय अभी विचारााधीन है। राजनैतिक दलों को सूचना के अधिकार के दायरे में लाने के लिए एडीआर द्वारा लगातार लड़ाई लड़ी जा रही है। आने वाले दिनों में एडीआर द्वारा पूरे देश में मतदाता जागरूकता के क्रम में सिटीजन आॅफ ड्यूटीज को बताने का काम प्रमुखता से किया जायेगा। एडीआर द्वारा जमीनी स्तर पर जागरूकता बढ़ाने के लिए मतदाता जागरूकता का काम व्यापक स्तर पर किया जायेगा।

उ0प्र0 इलेक्शन वाच एडीआर ने उ0 प्र0 में 2017 में होने वाले विधान सभा चुनाव के संदर्भ में मतदाता जागरूकता एवं चुनाव सुधार की तैयारी प्रारम्भ कर दी है। जिसके तहत उ0प्र0 के 37 जिलों में जिला इलेक्शन वाच का गठन किया जा चुका है। शेष जिलों में 6 माह के अंदर जिला इलेक्शन वाच का निर्माण किया जायेगा। पूरे प्रदेश में एक लाख कार्यकर्ताओं का कैडर तैयार किया जा रहा है। अब तक ग्यारह हजार से अधिक युवा यूपी इलेक्शन वाच के चुनाव सुधार अभियान से जुड़ चुके हैं। इन युवाओं की क्षमता वृद्धि के लिए एडीआर के द्वारा प्रशिक्षित किया जायेगा।