नई दिल्ली: 1993 के मुंबई धमाकों के दोषी याकूब मेमन की फांसी को लेकर कई तरह के बयान सामने आ रहे हैं। याकूब की गिरफ्तारी से जुड़े एक पूर्व रॉ अफसर ने तथ्यों के आधार पर याकूब को फांसी न देने की राय बनाई थी। ये पूर्व अफसर हैं, बी रमन, जिनके मुताबिक, याकूब मेमन को फांसी नहीं होनी चाहिए।
याकूब मेमन को पकड़ने के लिए बी रमन की अगुवाई में ही अभियान चलाया गया था। बी रमन ने 2007 में एक लेख लिखा था, जिसमें उन्होंने कहा था कि याकूब को फांसी नहीं होनी चाहिए।
ये लेख अब प्रकाशित हुआ है और रमन का 2013 में निधन हो चुका है। उनके भाई की अनुमति से यह लेख छापा गया है। रमन को जब कराची में याकूब और उसके परिवार के साथ संपर्क करने के लिए कहा गया था उस वक्त वह पाकिस्तान डेस्क के प्रमुख थे।
रिटायर होने से कुछ वक्त पहले रमन ने कहा कि जुलाई 1994 में याकूब को नेपाल पुलिस की मदद से काठमांडू में पकड़ा गया और फिर दिल्ली लाया गया। बाद में उसकी गिरफ्तारी पुरानी दिल्ली से दिखाई गई। फिर उसे पूछताछ के लिए कस्टडी में लिया गया।
रमन ने अपने लेख में लिखा कि पकड़े जाने से पहले याकूब ने जो किया उसके लिए उसे फांसी होनी चाहिए, लेकिन पकड़े जाने के बाद उसने जिस तरह से जांच एजेंसियों की मदद की उस वजह से उसे फांसी देने से पहले सोचा जा सकता है। रमन का दावा है कि याकूब की मदद की वजह से ही मुंबई धमाकों में पाकिस्तान का हाथ होने का पता चला था।
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