लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल, राम नाईक नेे आज नाबार्ड के 34वें स्थापना दिवस पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मछली पालन को कृषि के समान सुविधा दिये जाने की जरूरत है। अपने अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि जब वे सांसद थे तो मच्छीमारों को 11 प्रतिशत की दर पर ऋण दिया जाता था तो कृषि के क्षेत्र में 4 प्रतिशत पर ऋण की सुविधा दी जाती थी। मत्स्य पालकों को भी सस्ते ऋण उपलब्ध कराये जायें। उन्होंने कहा कि खेती, बागवानी और पुष्प उत्पादन को पर्यटन के तौर पर विकसित किया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि जैविक कूड़े को उपयोगी बनाने, सौर ऊर्जा को प्रोत्साहित करने तथा वर्षा जल संचयन को बढ़ावा देने की जरूरत है।
श्री नाईक ने कहा कि उत्तर प्रदेश में 94 प्रतिशत किसान सीमान्त हैं। लघु एवं सीमान्त किसानों की उपज योग्य आर्थिक सहायता व वैज्ञानिक मार्गदर्शन के आधार पर बढ़ाया जा सकता है। उत्तर प्रदेश का खाद्यान्न उत्पादन प्रति हेक्टेयर के हिसाब से अन्य प्रदेशों से कम है। परम्परागत खेती के साथ-साथ व्यवसाय बढ़ाने की दृष्टि से फूल उत्पादन, मधुमक्खी पालन व पशुपालन पर भी ध्यान देना आवश्यक है। उन्हांेने कहा कि जैविक खाद उत्पादन को भी व्यवसाय के रूप में बढ़ावा दिये जाने की आवश्यकता है।
राज्यपाल ने इस अवसर पर नाबार्ड की प्रशंसा करते हुए कहा कि भारत के किसानों के लिये नाबार्ड का कार्य अद्वितीय है। आज भी हमारा देश कृषि प्रधान देश है। कृषि जनसामान्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण व्यवसाय है। बैंकों के कारण कृषि में सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि किसानों को और अधिक मार्गदर्शन मिले तो उनकी स्थिति और सुदृढ़ हो सकती है।
राज्यपाल ने इस अवसर पर स्वयंसेवी समूहों एवं कृषकों को सम्मानित किया, नाबार्ड के कई प्रकाशनों का लोकार्पण किया तथा स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।
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