लखनऊ: प्रदेश की राजधानी में मुसलसल नौ दिन में दस-दस हत्याएं। लूट, हत्या, डकैती, राहजनी, बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों से राजधानी थर्रा गयी है। आम जनता भय के साये में जीने के लिए मजबूर हो गयी है। पुलिस के संरक्षण में दबंगो द्वारा किये जा रहे अवैध कब्जे की घटनाएं समाचारपत्रों की सुर्खियां बन रही हैं और प्रदेश सरकार एवं उसके वरिष्ठ मंत्री उत्तर प्रदेश में अन्य राज्यों के मुकाबले अपराध कम होने का दावा करते हैं और अपने ही हाथों अपनी पीठ थपथपा रहे हैं। कानून व्यवस्था के मुद्दे पर उत्तर प्रदेश की सरकार पूरी तरह संवेदनहीन हो चुकी है। विगत कुछ समय से पत्रकारों एवं उनके परिवार के सदस्यों पर पुलिस एवं माफियाओं द्वारा हमलों की बाढ़ सी आ गयी है।

प्रदेश कंाग्रेस के इंचार्ज प्रवक्ता वीरेन्द्र मदान ने कहा कि विगत दिनों चर्चा में रहे राजधानी से सटे जिले बाराबंकी में एक पत्रकार की मां को पुलिस द्वारा अपने सामने जलाना, शाहजहांपुर में पत्रकार को घर पर जाकर एक मंत्री के इशारे पर पुलिस द्वारा जलाया जाना, जिला बस्ती में एक सत्तापक्ष के पूर्व विधायक द्वारा अपनी चार पहिया वाहन से पत्रकार को दबाकर हत्या, दबंगों द्वारा जिला पीलीभीत में एक इलेक्ट्रानिक चैनल के पत्रकार को मोटर साइकिल से बांधकर घसीटना, कानपुर में एक पत्रकार की गोलियांे से छलनी करके हत्या करना, जिला उन्नाव के शुक्लागंज में एक पत्रकार पर हमला, आदि घटनाएं सिर्फ बानगीं भर हैं पूरे प्रदेश के अन्दर इस समय पत्रकार सहित आम जनता का जीना दूभर हो गया है और प्रदेश सरकार के मुखिया सहित कबीना मंत्री द्वारा दूसरे प्रदेशों से उ0प्र0 में अपराध कम होने का दावा कर प्रदेश सरकार की विफलता को छिपाने का प्रयास किया जा रहा है।

प्रवक्ता ने कहा कि एक जुलाई से 09 जुलाई के बीच राजधानी में अनेकों हत्याएं, बलात्कार, गैंग रेप, लूट, डकैती एवं महिलाओं से छेड़छाड़ की घटनाएं घटित हो चुकी हैं जिसमें से आधे से अधिक घटनाओं पर प्रदेश का पुलिस विभाग अभी तक किसी नतीजे तक नहीं पहुंचा है और जिन घटनाओं के खुलासा करने की बात कही जा रही है उन पर भी पुलिस की थ्योरी पर प्रश्नचिन्ह लगते हैं। यदि प्रदेश सरकार की नाक के नीचे इतनी घटनाएं हो रही हैं तो दूर दराज जनपदों के हालात आसानी से समझे जा सकते हैं। जिसका नतीजा यह है कि प्रदेश में पूरी तरह जंगलराज कायम हो गया है।