लखनऊ। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) ने सोनभद्र के जिला मुख्यालय पर आज पार्टी और आल इंडिया पीपुल्स फोरम (एआईपीएफ) के पूर्व निर्धारित प्रदर्शन पर जिला प्रशासन द्वारा रोक लगा देने और नेताओं को गिरफ्तार करने की कार्रवाई को अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला बताते हुए कड़ी निंदा की है।

भाकपा (माले) के राज्य सचिव रामजी राय ने अखिलेश सरकार पर लोकतंत्र का गला घोंटने का आरोप लगाया। कहा कि सपा राज में विरोध की आवाज को कुचला जा रहा है और आंदोलनकारियों का दमन किया जा रहा है। सोनभद्र में कनहर बांध परियोजना का विरोध करने वाली एआईपीएफ की नेता रोमा को आज सुबह राबर्ट्सगंज में प्रशासन द्वारा गिरफ्तार कर लेने और प्रदर्शन पर रोक लगाने की कार्रवाई इसका उदाहरण है। प्रदर्शन के मुद्यों में कनहर बांध परियोजना का सवाल भी था। सपा सरकार स्थानीय किसानों-आदिवासियों की शिकायतों की अनदेखी कर इस परियोजना को बलपूर्वक लागू करना चाहती है।

राज्य सचिव ने कहा कि एआईपीएफ नेता की गिरफ्तारी व जुलूस-प्रदर्शन पर अलोकतांत्रिक प्रतिबंध के खिलाफ आज भाकपा (माले), आल इंडिया यूनियन आफ फारेस्ट वर्किंग पीपुल (एआईयूएफडब्लूपी) व अन्य जनसंगठनों ने राबर्ट्सगंज में सड़क जाम कर धरना दिया। उन्होंने गिरफ्तार नेताओं की अविलंब बिना शर्त रिहाई की मांग की।

उधर, एआईपीएफ के राज्यव्यापी आह्वान पर प्रदेश व केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों को लेकर भाकपा (माले) और घटक संगठनों ने जिला मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन व मार्च का आयोजन किया। प्रदेश में कानून-व्यवस्था की बुरी स्थिति, दलितों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं समेत कमजोर वर्गों पर हमले की हाल की घटनाएं, सूबे को सांप्रदायिक दंगों की आग में झोंकने की कोशिश के अलावा, मोदी सरकार के बढ़ते कारपोरेट-सांप्रदायिक हमले, महंगाई, किसान-विरोधी भूमि अधिग्रहण अध्यादेश, श्रम कानूनों में मजदूर-विरोधी बदलाव आदि मुद्यों पर यह विरोध प्रदर्शन हुआ। इसी के साथ एआईपीएफ के 100 दिनों के ‘श्रम अधिकार-भूमि अधिकार’ अभियान के पहले चरण का समापन हुआ।

राजधानी लखनऊ में परिवर्तन चौक से जीपीओ पार्क तक मार्च निकाला गया और गांधी प्रतिमा पर सभा हुई। इसके अलावा, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, गोरखपुर, गाजीपुर, बलिया, मऊ, देवरिया, चंदौली, फैजाबाद, कानपुर, जालौन, बांदा आदि जिलों में भी प्रदर्शन हुए।