लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सहकारी संघवाद (Cooperative Federalism) के सिद्धान्तों पर चलने के लिए यह आवश्यक है कि केन्द्र सरकार द्वारा राज्यों के साथ मिलकर नीतियां बनाते हुए विकास की गति बढ़ायी जाए। उन्होंने कहा कि वर्ष 2015-16 के केन्द्रीय बजट में राज्यों से अभिमत प्राप्त किए बिना एकाएक केन्द्र पुरोनिधानित योजनाओं के पुनर्गठन का जो निर्णय लिया गया है, उसके कारण राज्यों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा। 

मुख्यमंत्री ने यह विचार आज नीति आयोग, नई दिल्ली में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान की अध्यक्षता में केन्द्र पुरोनिधानित योजनाओं के परिमेयकरण (Rationalisation) हेतु गठित मुख्य मंत्रियों के सब-ग्रुप की चतुर्थ बैठक में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि चौदहवें वित्त आयोग की रिपोर्ट के आधार पर केन्द्र से राज्यों के devolution को यद्यपि 32 से 42 प्रतिशत बढ़ाया गया है, परन्तु फाॅरेस्ट कवर को अत्यधिक महत्व दिए जाने की वजह से उत्तर प्रदेश को नुकसान हुआ है और एक अनुमान के आधार पर राज्य को 9,000 करोड़ रुपए इस फार्मूले के लागू होने की वजह से कम प्राप्त होंगे।

श्री यादव ने कहा कि बजट 2015-16 में केन्द्रीय योजनाओं में केन्द्रांश परिवर्तन एवं और कुछ अन्य योजनाओं में बजट व्यवस्था न होने की वजह से उत्तर प्रदेश को मिलने वाली धनराशि में करीब 18,257 करोड़ रुपए की कमी अनुमानित है, जो Central devolution  से प्राप्त होने वाली धनराशि की बढ़ोत्तरी से (7,584 करोड़ रुपए) से कहीं अधिक है। इस सम्पूर्ण प्रक्रिया से उत्तर प्रदेश को कहीं कोई फायदा नहीं हो रहा है, बल्कि मिलने वाली धनराशि में नुकसान हो रहा है। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि Core of Core schemes में कई अन्य योजनाओं को भी सम्मिलित किया जाना चाहिए और उनके वर्तमान वित्त पोषण की व्यवस्था बनाये रखनी चाहिए। अन्यथा चाहे वे किसानों की योजनाएं हों, अथवा स्वास्थ्य योजनाएं हों या शिक्षा की योजनाएं हों, सभी Core Sector की योजनाओं का आकार कम हो जायेगा और राज्य के विकास पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

श्री यादव ने इस संदर्भ में अपनी संस्तुति देते हुए कहा कि कम-से-कम कोर सेक्टर की योजनाओं में केन्द्र द्वारा उपलब्ध कराए गए संसाधनों में कोई कमी न की जाए। इन सभी योजनाओं को Core of Core Schemes में सम्मिलित किया जाये, ताकि राज्य की जनता के प्रति वचनबद्धता पूरी हो सके और प्रधानमंत्री का Co-operative Federalism  का सिद्धान्त वास्तव में साकार हो सके।

सब-ग्रुप द्वारा केन्द्र पुरोनिधानित योजनाओं को मुख्यतः core of core schemes, core schemes and optional schemes में वर्गीकृत किए जाने की संस्तुति पर मुख्यमंत्री ने कहा किCore of core schemes में मनरेगा तथा social inclusion  की योजनाओं को ही सम्मिलित किया गया है। Core of core schemes में शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में अवस्थापना सुविधाओं का सृजन, कृषि, ऊर्जा, मानव संसाधन विकास, स्वास्थ्य, नगरीय विकास, गरीबी उन्मूलन, ग्राम्य विकास आदि योजनाओं को भी सम्मिलित किया जाए। 

श्री यादव ने सब-ग्रुप द्वारा इन क्षेत्र की योजनाओं को 60ः40 अनुपात में वित्त पोषित किए जाने की संस्तुति के संदर्भ में कहा कि राज्यों के लिये राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, स्वच्छ भारत मिशन (निर्मल भारत अभियान), राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एन.एच.एम.), त्वरित सिंचाई लाभ परियोजना (ए.आई.बी.पी.), इन्दिरा आवास योजना (आई.ए.वाई.), मध्यान्ह भोजन योजना (एम.डी.एम.), सर्व शिक्षा अभियान (एस.एस.ए.), समेकित बाल विकास कार्यक्रम (आई.सी.डी.एस.), प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पी.एम.जी.एस.वाई.) इत्यादि योजनाओं में पूर्ववत् वित्त पोषण के आधार पर केन्द्रीय सहायता उपलब्ध करायी जाए। 

मुख्यमंत्री ने सब-ग्रुप द्वारा आशाकर्मियों, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों तथा अनुबन्धित शिक्षकांे के वेतन इत्यादि हेतु वर्तमान स्तर के आधार पर आगामी दो वर्षों तक राज्यों को सहायता उपलब्ध कराए जाने की संस्तुति के सम्बन्ध में कहा कि ये सभी महत्वपूर्ण कार्यक्रम हैं तथा आगे भी चलेंगे। इसलिये वेतन आदि हेतु सहायता दो वर्षों के आगे भी जारी रहनी चाहिए।

श्री यादव ने कहा कि केन्द्रीय बजट में कुछ प्रमुख योजनाओं को केन्द्रीय सहायता से डी-लिंक कर दिया गया है। प्रदेश में विकास योजनाओं को जनमानस तक पहँुचाने, त्वरित सुविधाएं उपलब्ध कराने तथा योजनाओं के प्रभावी अनुश्रवण हेतु कम्प्यूटराइजेशन को बढ़ावा देने के लिये भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय ई-गवर्नेन्स एक्शन प्लान के अन्तर्गत शत-प्रतिशत सहायता उपलब्ध करायी जाती थी। साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में अवस्थापना सुविधाओं के विकास हेतु पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि के अन्तर्गत शत-प्रतिशत सहायता उपलब्ध होती थी। इसके अतिरिक्त पुलिस बलों के आधुनिकीकरण हेतु भी राज्य को केन्द्रीय सहायता उपलब्ध करायी जाती थी। इन महत्वपूर्ण योजनाओं को केन्द्रीय सहायता से डी-लिंक न किया जाए और पूर्ववत् केन्द्रीय सहायता राज्य को उपलब्ध करायी जाए। उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि केन्द्र पोषित योजनाओं में राज्यों के अन्तरण का जो फार्मूला बनाया जाए, उसे बनाते समय राज्यों से परामर्श अवश्य किया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र पुरोनिधानित योजनाओं के धन आवंटन हेतु 6 माह के pre-authorisation की जो व्यवस्था सुझायी गयी है, उससे वे सहमत हैं। केन्द्र सरकार द्वारा राज्यों को देय सहायता ब्लाॅक ग्राण्ट के रूप में उपलब्ध करायी जाए। संस्थागत व्यवस्था के अन्तर्गत योजना विशेष की घटक योजना को स्वीकृत करने का अधिकार राज्य को दिए जाने के सुझाव पर उन्होंने सहमति जताई। उन्होंने कहा कि जिन योजनाओं में विस्तृत परियोजना रिपोर्ट  तैयार किया जाना अनिवार्य हो, उन योजनाओं की क्च्त् को अनुमोदित करने का अधिकार भी राज्य को दिया जाए। केन्द्र पुरोनिधानित योजनाओं के अन्तर्गत प्रत्येक योजना में 25 प्रतिशत लैक्सी फण्ड  दिए जाने के प्रस्ताव पर भी उन्होंने समति जताई।

श्री यादव ने सब-ग्रुप की इस संस्तुति से भी सहमति जताई जिसके अन्तर्गत केन्द्र पुरोनिधानित योजनाओं में 30 प्रतिशत कार्य पूर्ण होने पर, उनको पूर्ण करने हेतु केन्द्र द्वारा पूर्ववत् वित्त पोषण के आधार पर मार्च, 2017 तक राज्य को सहायता उपलब्ध कराया जाना प्रस्तावित है। उन्होंने स्वयं द्वारा पूर्व में उल्लिखित महत्वपूर्ण योजनाओं को core of core sector में रखने पर बल दिया, ताकि उनके वित्त पोषण में कोई कमी न आये व राज्यों पर अत्यधिक व्यय भार न पड़े। उन्होंने बैठक में अनुरोध किया कि सब-ग्रुप की प्रस्तावित संस्तुतियों को तद्नुसार संशोधित कर दिया जाए।