नई दिल्ली। शिक्षा के भगवाकरण के आरोपों की खबरों के बीच एनसीईआरटी इतिहास की पुस्तकों को फिर से लिखे जाने की तैयारी कर रहा है। सूत्रों की मानें तो इतिहास की पुस्तकों को फिर से लिखने में 18 से 24 माह का समय लगेगा यानी वर्ष 2017 में नई किताबें बाजार में आ जाएंगी। पुस्तकें पहले अंग्रेजी में लिखी जाएंगी और बाद में इसका अनुवाद उर्दू समेत अन्य भाषाओं में किया जाएगा।

सूत्रों के अनुसार जून में एनसीईआरटी ने इतिहास की पुस्तकों पर पुनर्विचार के लिए एक कार्यशाला आयोजित की थी जिसमें इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च के तीन सदस्यों समेत पूरे देश के शिक्षाविदों ने भाग लिया था। इस कार्यशाला के पहले मानव संसाधन मंत्रालय में एक बैठक हुई थी जिसमें एनसीईआरटी के अधिकारियों ने भाग लिया था। बैठक में इतिहास की पुस्तकों में बदलाव करने के मुद्दे पर चर्चा हुई थी। मानव संसाधन मंत्रालय और एनसीईआरटी दोनों के अधिकारियों ने माना कि बैठक इतिहास की पुस्तकों में गलतियां और विवादित मुद्दों को लेकर बुलाई गई थी।

समिति द्वारा दिए गए सुझावों में भारत की आजादी में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का योगदान भी शामिल किया जाने समेत क्लास 9 की बुक से क्रिकेट तथा फ्रेंच रिवोल्यूशन पर दिए गए अतिरिक्त कंटेंट को हटाना है। इसके साथ ही विरोधी पार्टियों ने सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया है कि वह शिक्षा के भगवाकरण का प्रयास कर रही है।