नई दिल्ली: अगर आप क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड से शॉपिंग करते हैं तो आपके लिए खुशखबरी है। केंद्र सरकार क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड के जरिए खरीद फरोख्त करने वाले व्यक्तिगत टैक्सपेयर्स को टैक्स लाभ देने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। इसके साथ ही पेट्रोल, गैस और रेल टिकटों की क्रेडिट या डेबिट कार्ड से खरीद पर लगने वाला लेन-देन शुल्क समाप्त करने का प्रस्ताव है।

कैस लेस इकॉनमी की तरह बढ़ने और टैक्स चोरी घटाने के लिए जारी एक परिपत्र के मसौदे में सरकार ने एक लाख रुपये से अधिक मूल्य के सौदों का इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से निपटान अनिवार्य करने का भी प्रस्ताव किया है।

दुकानदारों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने उन्हें टैक्स छूट का प्रस्ताव किया है, बशर्ते वे अपनी बिक्री का अच्छा खासा मूल्य डेबिट या क्रेडिट कार्ड से स्वीकार करें।

इन प्रस्तावों का मकसद लोगों के लेनदेन का रिकॉर्ड तैयार करना है ताकि उनकी कर्ज सुविधा बढ़ाई जा सके। इसके अलावा, इसका मकसद लोगों को बैंकिंग दायरे में लाना, टैक्स चोरी और नकली नोटों पर अंकुश लगाना है। सरकार ने 29 जून तक प्रस्तावों के मसौदे पर टिप्पणियां आमंत्रित की हैं।

इसमें कहा गया है,  ‘उपभोक्ताओं द्वारा अपने खर्च के एक निश्चित हिस्से का इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भुगतान करने पर उसे आयकर में छूट के रूप में कर लाभ देने पर विचार किया जाएगा।’

इसके साथ ही कहा गया है कि, ‘ऊंचे मूल्य के सभी सौदों, मसलन एक लाख रूपये से अधिक मूल्य के सौदों, का केवल इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भुगतान किया जाएगा।’ परिपत्र में कहा गया है कि इलेक्ट्रानिक भुगतान स्वीकार करने वाले दुकानदारों को टैक्स लाभ उपलब्ध कराया जा सकता है।

इसके अलावा, बैंकों द्वारा व्यक्तियों द्वारा क्रेडिट कार्ड से किए गए लेनदेन की रिपोर्टिंग के नियमों में ढील देने का प्रस्ताव किया गया है। वर्तमान में देश में करीब 56.4 करोड़ डेबिट कार्ड और 11.25 लाख बिक्री केंद्र टर्मिनल हैं।

वहीं मोबाइल बैंकिंग को प्रोत्साहन देने के प्रयास के तहत परिपत्र में सुझाव दिया गया है कि दूरसंचार कंपनियों द्वारा लगाए जाने वाले शुल्कों को तर्कसंगत बनाया जाय।

इस परिपत्र के मुताबिक, अभी दूरसंचार कंपनियां मोबाइल बैंकिंग – भुगतान के लिए प्रति लेनदेन 1.50 रुपये का अनिर्धारित अनुपूरक सेवा डाटा (यूएसएसडी) शुल्क लगाती हैं। मोबाइल आधारित भुगतान प्रणालियों को प्रोत्साहित करने के लिए अगर जरूरत पड़े तो नियामकीय ढांचे में उचित बदलाव किया जाय।’

इन प्रस्तावों में व्यक्तियों के लिए लेनदेन करना आसान बनाने, नकदी ले जाने के जोखिम और लागत में कमी लाने और अर्थव्यवस्था में नकदी प्रबंधन की लागत घटाने का प्रयास किया गया है।