नई दिल्ली : रीयल एस्टेट क्षेत्र की प्रमुख कंपनी डीएलएफ ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के ताजा आदेश को ‘काफी आश्चर्यजनक’ बताते हुये कहा है कि उसी बाजार में बिल्कुल वैसे ही उत्पाद बेचने वाली दूसरी रीयल एस्टेट कंपनियों पर किसी प्रकार का कोई जुर्माना नहीं लगाया गया। प्रतिस्पर्धा नियामक ने डीएलएफ के खिलाफ जारी नये आदेश में रीयल्टी क्षेत्र की इस प्रमुख कंपनी को उसकी गुडगांव आवासीय परियोजना में अपार्टमेंट की बिक्री में ‘अनुचित एवं अपमानजनक’ व्यवसायिक गतिविधियों में लिप्त रहने का दोषी ठहराया है।

सीसीआई ने डीएलएफ गुडगांव होम डेवेलपर प्रा0 लि0 और समूह की कंपनियों से इस प्रकार की अनुचित व्यापारिक गतिविधियों को ‘बंद करने और उनसे दूर रहने’ को कहा है। हालांकि, सीसीआई ने कंपनी पर कोई नया जुर्माना नहीं लगाया है। कंपनी पर एक अलग मामले में उसी समय इसी तरह के उल्लंघन पर 630 करोड़ रपये का जुर्माना लगाया जा चुका है। डीएलएफ के खिलाफ जारी सीसीआई के कई आदेशों की पूरी श्रंखला में यह ताजा आदेश है। हालांकि, आयोग ने कुछ मामलों में कंपनी को निर्दोष भी बताया है। आयोग ने कहा है कि उसे इनमें प्रतिस्पर्धा कानून का कोई उल्लंघन नहीं दिखाई दिया।

सीसीआई के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुये डीएलएफ ने एक बयान में कहा है, ‘कंपनी को सीसीआई की ओर से नया आदेश मिला है और वह मामले में कानूनी सलाह के अनुसार आवश्यक कार्रवाई करेगी।’ डीएलएफ ने अपने वक्तव्य की प्रति शेयर बाजार को भी भेजी है। डीएलएफ ने कहा, कि अभी वह इस आदेश का अध्ययन कर रहा है। कंपनी ने कहा कि हालांकि, यह ‘बहुत आश्चर्यजनक’ है। गुडगांव में ही कई कंपनियां 40-45 लाख रपये के उसी मूल्य दायरे में फ्लैटों की बिक्री की पेशकश कर रही हैं।

कंपनी ने कहा, ‘सभी लोग जानते हैं कि गुडगांव क्षेत्र में अनेक कंपनियां इसी प्रकार की सुख सुविधाओं वाले और इसी प्रकार के उत्पाद लाइन वाले दसियों हजार फ्लैट की पेशकश कर रही हैं। हमने यह भी पाया है कि कोई अन्य जुर्माना नहीं लगाया गया। हम आदेश का विस्तारपूर्वक अध्ययन कर रहे हैं और उसके बाद कानूनी सलाह के अनुसार कार्रवाई करेंगे।’’ सीसीआई ने अपने आदेश में कहा था..‘आयोग विपक्षी पार्टी और सबंधित बाजार में काम करने वाली उसकी समूह कंपनियों को निर्देश देती है कि वह अनुचित एवं अपमानजनक गतिविधियों को बंद करे और उनसे दूर रहे। ’ सीसीआई का यह आदेश डीएलएफ गुड़गांव होम डेवलपर्स के खिलाफ दायर की गई शिकायतों के बाद आया है। शिकायत में कहा गया है कि कंपनी ने पहले मकान खरीदने वालों को ‘‘काफी आकषर्क’’ दाम पर खरीदारी के ललचाया। लेकिन बाद में परियोजना में देरी की वजह से जब खरीदारों ने उनका आवंटन निरस्त करने और धन लौटाने के लिये कहा तो कंपनी ने ऐसा करने से इनकार कर दिया।

कंपनी ने कहा कि खरीदारों ने जिन आवेदनों पर हस्ताक्षर किये हैं वह लौटाये नहीं जा सकते हैं इसलिये आवंटन निरस्त करने के आग्रह को स्वीकार नहीं किया जा सकता। खरीदारों से कहा गया कि उनके पास केवल एक ही विकल्प है कि वह अपनी संपत्ति को खुले बाजार में बेचें। इसके बाद खरीदार अपनी शिकायत लेकर सीसीआई के पास पहुंचे।