नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और अब दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल बुधवार 22 अप्रैल को दिल्ली के जंतर-मंतर से संसद भवन तक मार्च का नेतृत्व करेंगे और धरना देंगे। केजरीवाल के साथ पार्टी के दूसरे वरिष्ठ नेता भी इस विरोध प्रदर्शन में शामिल होंगे।
केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ केजरीवाल और पार्टी के दूसरे नेताओं का यह पहला धरना होगा। दिल्ली में ‘आप’ सरकार बनने के बाद केंद्र के भूमि अधिग्रहण कानून का विरोध करने के लिए पार्टी नेताओ को इस पहले विरोध प्रदर्शन को कामयाब बनाने के लिए काम पर पहले ही लगाया हुआ है।
वैसे तो दूसरी पार्टियां भी इस कानून के खिलाफ अपने स्तर पर और अपने तरीके से विरोध कर रही हैं, लेकिन केजरीवाल का धरना या विरोध प्रदर्शन इसलिए अलग महत्व रखता है, क्योंकि लोकसभा चुनाव में हार के बाद जब लोगों में उनके धरने को लेकर माहौल खराब हुआ तो उन्होंने धरने बंद कर दिए, लेकिन किसी भी लोकतंत्र में विरोध का हक सभी को है और अगर कुछ गलत लगे तो धरना करके विरोध करना एक सभ्य तरीका ही माना जाता है विरोध का।
इस विरोध प्रदर्शन के सहारे पार्टी अंदरूनी लड़ाई के माहौल और खबरों से भी निकलने की कोशिश करेगी और कोशिश करेगी कि वह दूसरों सकारात्मक कारणों से चर्चा में आए।
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