अहमदाबाद: गुजरात सरकार ने आतंकवाद और संगठित अपराधों पर लगाम लगाने के लिए लाए गए अपने विवादास्पद विधेयक ‘गुजकोका’ ( गुजरात कंट्रोल ऑफ़ टेररिज्म एंड ऑर्गनाइज़ड क्राइम बिल ) को विधानसभा में पास करा लिया है। अब इस बिल को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। विपक्ष के भारी विरोध और वॉकआउट के बीच इस बिल को सदन की ओर से हरी झंडी दी गई। मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल की सरकार ने इस बिल को नए फॉर्म में पास किया है।
यह बिल महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट (मकोका) की तर्ज पर ही है। यह बिल इससे पहले दो बार 2004 और 2008 में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और प्रतिभा पाटिल द्वारा खारिज किया जा चुका है। फिलहाल केंद्र में बीजेपी की सरकार है तो यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बिल पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी क्या रुख अपनाते हैं।
सूत्रों के मुताबिक इस बिल में प्रावधान है कि इस कानून के तहत पकड़े गए आरोपी का सुपरीटेंडेंट ऑफ पुलिस लेवल के अधिकारी के सामने दिए गए बयान को बतौर सबूत कोर्ट में पेश किया जा सकता है। यह प्रावधान पहले रद्द कर दिए गए आतंकवाद विरोधी कानून पोटा जैसे ही हैं। पोटा के दौरान इस प्रावधान के दुरुपयोग के कई मामले सामने आए थे। जिसके बाद इस कानून रद्द किया गया था।
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