श्रेणियाँ: देश

अपमानजनक कमेंट पोस्ट करने पर नहीं होगी गिरफ़्तारी

सुप्रीम कोर्ट ने ख़त्म की IT एक्ट की धारा 66A

नई दिल्ली : अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बरकरार रखने वाले अपने एक ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने आज साइबर कानून के उस प्रावधान को निरस्त कर दिया जो वेबसाइटों पर कथित ‘अपमानजनक’ सामग्री डालने पर पुलिस को किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने की शक्ति देता था।

सोच और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को ‘आधारभूत’ बताते हुए न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर और न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन की पीठ ने कहा, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 ए से लोगों के जानने का अधिकार सीधे तौर पर प्रभावित होता है।’ खचाखच भरे अदालत कक्ष में फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति नरीमन ने यह भी कहा कि यह प्रावधान साफ तौर पर संविधान में उल्लिखित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार को प्रभावित करता है।

इस प्रावधान को ‘असंवैधानिक’ ठहराने का आधार बताते हुए न्यायालय ने कहा कि प्रावधान में इस्तेमाल ‘चिढ़ाने वाला’, ‘असहज करने वाला’ और ‘बेहद अपमानजनक’ जैसे शब्द अस्पष्ट हैं क्योंकि कानून प्रवर्तन एजेंसी और अपराधी के लिए अपराध के तत्वों को जानना कठिन है। पीठ ने ब्रिटेन की अलग-अलग अदालतों के दो फैसलों का भी उल्लेख किया जो अलग-अलग निष्कर्ष पर पहुंचीं कि सवालों के घेरे में आई सामग्री अपमानजनक थी या बेहद अपमानजनक थी।

पीठ ने कहा, ‘एक ही सामग्री को देखने के बाद जब न्यायिक तौर पर प्रशिक्षित मस्तिष्क अलग-अलग नतीजों पर पहुंच सकता है तो कानून लागू करने वाली एजेंसियों और दूसरों के लिए इस बात पर फैसला करना कितना कठिन होता होगा कि क्या अपमानजनक है और क्या बेहद अपमानजनक है।’ पीठ ने कहा, ‘कोई चीज किसी एक व्यक्ति के लिए अपमानजनक हो सकती है तो दूसरे के लिए हो सकता है कि वह अपमानजनक नहीं हो।’ पीठ ने सुनवाई के दौरान राजग सरकार द्वारा दिए गए आश्वासन को खारिज कर दिया कि इस बात को सुनिश्चित करने के लिए कुछ प्रक्रियाएं निर्धारित की जा सकती हैं कि सवालों के घेरे में आए कानून का दुरपयोग नहीं किया जाएगा।

सरकार ने यह भी कहा था कि वह प्रावधान का दुरूपयोग नहीं करेगी। पीठ ने कहा, ‘सरकारें आती और जाती रहती हैं लेकिन धारा 66 ए सदा बनी रहेगी।’ इसने कहा कि मौजूदा सरकार अपनी उत्तरवर्ती सरकार के बारे में शपथ पत्र नहीं दे सकती कि वे उसका दुरपयोग नहीं करेंगे। पीठ ने हालांकि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के अन्य प्रावधानों धारा 69 ए और धारा 79 को निरस्त नहीं किया और कहा कि वो कुछ पाबंदियों के साथ लागू रह सकते हैं।

धारा 69 ए किसी कंप्यूटर संसाधन के जरिए किसी सूचना तक सार्वजनिक पहुंच को रोकने के लिए निर्देश जारी करने की शक्ति देती है और धारा 79 में कुछ मामलों में मध्यवर्ती की जवाबदेही से छूट का प्रावधान करती है। शीर्ष अदालत ने कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुनाया जिसमें साइबर कानून की कुछ धाराओं की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई थी।

इस मुद्दे पर पहली जनहित याचिका साल 2012 में विधि छात्रा श्रेया सिंघल ने दायर की थी। उन्होंने आईटी अधिनियम की धारा 66 ए में संशोधन की मांग की थी। यह जनहित याचिका दो लड़कियों शाहीन ढाडा और रीनू श्रीनिवासन को महाराष्ट्र में ठाणे जिले के पालघर में गिरफ्तार करने के बाद दायर की गई थी। उनमें से एक ने शिवसेना नेता बाल ठाकरे के निधन के बाद मुंबई में बंद के खिलाफ टिप्पणी पोस्ट की थी और दूसरी लड़की ने उसे लाइक किया था।

प्रताड़ित करने और गिरफ्तारी की कई शिकायतों के मद्देनजर 16 मई 2013 को शीर्ष अदालत ने एक परामर्श जारी किया था जिसमें कहा गया था कि सोशल नेटवर्किंग साइटों पर आपत्तिजनक टिप्पणियां पोस्ट करने के आरोपी किसी व्यक्ति को पुलिस आईजी या डीसीपी जैसे वरिष्ठ अधिकारियों से अनुमति हासिल किए बिना गिरफ्तार नहीं कर सकती। शीर्ष अदालत के इस साल 26 फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लेने के बाद धारा 66 ए के कथित दुरूपयोग को लेकर एक और विवादास्पद मामला चर्चा में आया जिसके तहत गत 18 मार्च को फेसबुक पर समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान के खिलाफ कथित तौर पर आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट करने को लेकर एक लड़के को गिरफ्तार कर लिया गया था।

उच्चतम न्यायालय में इस संबंध में एक याचिका दायर की गई थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि उसके परामर्श का उल्लंघन किया गया। इसके बाद शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश पुलिस से इस बात को स्पष्ट करने को कहा था कि किन परिस्थितियों में लड़के की गिरफ्तारी की गई।

Share

हाल की खबर

4 जून को झूठों के सरदार देश छोड़कर भाग सकते हैं, लोग नज़र रखें: शाहनवाज़ आलम

आगरादिनों दिन गिरती मोदी जी की भाषा भाजपा के हार की गारंटी है. मोदी जितना…

मई 5, 2024

कर्नाटक सेक्स काण्ड: प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ इंटरपोल ने जारी किया नोटिस

यौन उत्पीड़न के आरोपी जद (एस) के सांसद प्रज्वल रेवन्ना पर एसआईटी ने शिकंजा कसना…

मई 5, 2024

कोहली के बयान पर भड़के गावस्कर

विराट कोहली को अपने स्ट्राइक रेट के चलते कई आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है।…

मई 4, 2024

पेटीएम को लगा बड़ा झटका, चेयरमैन भावेश गुप्ता का इस्तीफ़ा

मोबाइल भुगतान फर्म पेटीएम के लिए एक बड़ा झटका, अध्यक्ष और मुख्य परिचालन अधिकारी भावेश…

मई 4, 2024

नया प्रधानमंत्री चुनने का समय आ गया: प्रियंका गाँधी

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर चुनाव प्रचार के दौरान अपने भाषणों…

मई 4, 2024

जन मुद्दों पर अपना रुख साफ करें सभी दल: आइपीएफ

बभनी, सोनभद्ररोजगार, जमीन, शिक्षा, स्वास्थ्य, शुद्ध पेयजल और पर्यावरण की रक्षा जैसे जनता के जीवन…

मई 4, 2024