नई दिल्ली। सरकार आरबीआई की सरकारी बॉन्ड्स को रेग्युलेट करने की पावर उससे छीनकर सेबी को देने की तैयारी कर रही है। माना जा रहा है कि सरकार के इस कदम से आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन और सरकार के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है। मुद्रा बाजार से संबंधित अन्य पावर्स आरबीआई के पास ही रहेंगी।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक अरूण जेटली रिटेल निवेशकों को आकर्षित कर बॉन्ड मार्केट को फैलाने और मौद्रिक नीति के हस्तांतरण में सुधार करना चाहते हैं। उम्मीद की जा रही है कि दिल्ली में इस रविवार को होने जा रही पॉलिसी मीटिंग में इस बारे में कोई निर्णय लिया जाएगा। इस मीटिंग में जेटली, राजन और देश के स्टॉक मार्केट के रेग्युलेटर हिस्सा लेंगे।
सूत्र ने बताया, “इसका मकसद वित्तीय क्षेत्र में सुधार को गति देना है। मार्केट में ऎसा बॉन्ड होना जरूरी है जहां रिटेल और कॉर्पोरेट निवेशक भी हिस्सा ले सके और यह अच्छी तरह काम भी करे।” सरकार मनी मार्केट रेग्युलेशन पावर आरबीआई से लेकर सेबी को देना चाहती है, इस बात का अंदाजा 28 फरवरी को तब ही लग गया था जब वित्त मंत्री अरूण जेटली ने बजट भाषण में बदलाव का प्रस्ताव पेश किया था।
उधर आरबीआई ने चिंता व्यक्त की है। राजन ने पिछले साल ही कह दिया था कि मार्केट्स सुपर रेग्युलेटर बनाना पागलपन जैसा होगा, हालांकि जब वे अमरीका में एकेडमिक इकोनॉमिस्ट थे तो मार्केट से जुड़े सभी तरह के रेग्युलेशन को एक ही छत के नीचे लाने की वकालत करते थे, लेकिन अब मौद्रिक नीति को नियमित करने की पावर हाथ में आने के बाद उनके विचार बदल गए हैं।
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