नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी के असम में दिए गए उस बयान को लेकर मंगलवार को राज्यसभा में खूब हंगामा हुआ, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा कि मस्जिद कोई धार्मिक स्थल नहीं है।
कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही सदन में यह मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, “धर्मनिरपेक्षता लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है। यदि धर्मनिरपेक्षता नहीं रहेगी तो लोकतंत्र भी नहीं रहेगा।”उन्होंने कहा, “वे (भाजपा नेता) मस्जिदों को तोड़ने की बात कर रहे हैं।”
तिवारी के ऐसा कहने के बाद सदन के अन्य विपक्षी सदस्यों ने भी उनका समर्थन किया, जिसके बाद सदन में हंगामा शुरू हो गया।
केंद्रीय संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने हालांकि, विपक्षी सदस्यों को यह कहकर शांत कराने की कोशिश की कि वे इस मुद्दे पर चर्चा कर सकते हैं, लेकिन उनके इस आश्वासन के बाद भी सदस्य शांत नहीं हुए। हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई।
रपटों के अनुसार, सुब्रह्मण्यम स्वामी ने गुवाहाटी में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि मस्जिदें धार्मिक स्थल नहीं हैं, बल्कि सिर्फ इमारतें हैं और इन्हें किसी भी वक्त ढहाया जा सकता है।
अपनी बात के समर्थन में उन्होंने सऊदी अरब में सड़कों के निर्माण के लिए मस्जिदों को ढहाने का उदाहरण भी दिया था।
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