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यूपी में बढे पुलिसवालों पर हमले

ढाई साल में असामाजिक तत्वों ने किये  622 हमले

लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा में कानून व्यवस्था को लेकर हो रहे विपक्ष के तीखे हमलों के बीच सरकार ने स्वीकार किया है कि करीब ढाई साल में पुलिस पर बदमाशों ने 622 हमले किए हैं। भारतीय जनता पार्टी नेता सुरेश खन्ना के सवाल पर संसदीय कार्यमंत्री मोहम्मद आजम खां ने कहा कि 15 मार्च 2012 से सितम्बर तक असामाजिक तत्वों ने पुलिस पर 622 हमले किए।

इन हमलों के सम्बन्ध में 3936 आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। खां ने बताया कि सभी मामलों में रिपोर्ट दर्ज कर आरोपियों की गिरफ्तारी कराई गई। हालांकि बहुजन समाज पार्टी और बीजेपी सदस्य सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं थे। बीजेपी और बीएसपी ने सरकार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की।

विपक्षी सदस्यों का आरोप था कि सरकार कानून व्यवस्था के मामले में फेल है। नेता विरोधी दल स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि बदमाशों ने कई जवानों को शहीद किया। पुलिसकर्मियों की शहादत का ब्यौरा नहीं देना सरकार की संवेदनहीनता दर्शाती है।

खन्ना ने ये भी कहा कि जब पुलिस वाले ही सुरक्षित नहीं हैं तो जनता कैसे सुरक्षित रह सकती है। उन्होंने कटाक्ष किया कि सरकार ने इस दिशा में कीर्तिमान स्थापित किया है। उन्होंने ज्यादातर हमलों के लिए सत्तारूढ समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं को जिम्मेदार ठहराया।

खां ने कहा कि यह सही है कि पुलिसवालों पर 622 हमले हुए हैं। यह आंकडे बताते हैँ कि रिपोर्ट दर्ज हो रही है जबकि बीएसपी शासन में तो रिपोर्ट ही दर्ज नहीं होती थी। उन्होंने ये भी कहा कि बदमाशों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई हो रही है। पुलिस जब जान लगाकर कार्रवाई करेगी तो “जान“ भी जाएगी।

इस पर राजनीति किया जाना शहीदों का अपमान है। उनका विपक्ष पर आरोप था कि शहीदों को शाबासी देने के बजाय उन पर राजनीति की जा रही है। सरकार के जवाब से असंतुष्ट पहले बीएसपी सदस्यों ने और बाद में बीजेपी ने सदन का बहिर्गमन किया।

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