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थाली पीटकर ग़रीबों ने सरकार से की भूख मिटाने की मांग

'भूख के विरुद्ध भात के लिए' कार्यक्रम में माले नेताओं-कार्यकर्ताओं ने रखा उपवास

लखनऊ: लॉकडाउन में गरीबों को राशन समेत जरूरी वस्तुएं निःशुल्क मुहैया कराने के लिए भाकपा (माले) के देशव्यापी आह्वान पर रविवार को प्रदेश के विभिन्न जिलों में दिन के दो बजे दस मिनट तक घरों के दरवाजों पर थालियां पीटी गईं। 'भूख के विरुद्ध भात के लिए' नाम से हुए इस कार्यक्रम में गरीबों की मांग के समर्थन में पार्टी के नेताओं-कार्यकर्ताओं व समर्थकों ने एक दिन का उपवास रखा। इस दौरान शारीरिक दूरी का भी अनुपालन किया गया।

यह जानकारी देते हुए पार्टी के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने बताया कि उक्त कार्यक्रम का उद्देश्य लॉकडाउन के तीन हफ्तों में भुखमरी के कगार पर पहुंच चुके गरीब परिवारों और मजदूरों की मांगों की ओर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराना था। थाली पीट कर और उपवास रखकर लॉकडाउन की परिस्थितियों में सांकेतिक विरोध दर्ज कराते हुए सरकार तक यह आवाज पहुंचाने की कोशिश की गई कि गरीबों की थाली अब खाली है। इस समय उन्हें थोथे भाषण की नहीं, राशन की जरूरत है। भूखे पेट रहकर कोरोना वायरस से लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती है।

पार्टी आह्वान पर माले के उत्तर प्रदेश कार्यालय समेत जिला कार्यालयों में भी उपवास रखा गया।

राज्य सचिव ने बताया कि ग्रामीण इलाकों में घरों के दरवाजे तक आकर महिलाओं-पुरुषों व बच्चों ने थालियां बजाईं और नारे भी लगाए। इन नारों में भोजन और राशन की मांगें थीं। माले नेता ने कहा कि लॉकडाउन में काम न मिलने और आय के सारे श्रोतों के बंद हो जाने से ग्रामीण गरीबों, रोज कमाने खाने वालों, अपनी जमा पूंजी खत्म कर चुके शहर से घर वापस लौटे मजदूर परिवारों, बीच रास्ते फंसे श्रमिकों की हालत सबसे ज्यादा खराब हो चली है।

उन्होंने कहा कि पहले राशन कार्ड पर प्रति यूनिट प्रति माह 5 किलो राशन कोटेदार से मिलता था। इस राशन के साथ बाहरी कमाई से गुजारा होता था। लॉक डाउन में भी करीब इतना ही राशन मिल रहा है, लेकिन बाहरी आमदनी के सारे दरवाजे बंद हैं। लिहाजा गुजारा मुश्किल हो गया है और परिवार को भूखों रहना पड़ रहा है। इसके अलावा, जिनके पास राशनकार्ड या जरूरी दस्तावेज नहीं हैं और जो किसी योजना में पंजीकृत भी नहीं हैं, वैसे लोग आस्तित्व के संकट का सामना कर रहे हैं, क्योंकि घोषणाओं के बावजूद निर्वाह लायक राशन व सरकारी सहायता नहीं मिल रही है।

राज्य सचिव ने बताया कि राजधानी लखनऊ के मुंशीखेड़ा, मड़ियांव, स्कूटर्स इंडिया के निकट रानीपुर गांव, गोमती नगर व राजाजीपुरम की कुछ मजदूर बस्तियों में थालियां पीटी गयीं। लखनऊ के अलावा, मिर्जापुर, सोनभद्र, चंदौली, आजमगढ़, मऊ, वाराणसी, भदोही, बलिया, देवरिया, गोरखपुर, बस्ती, इलाहाबाद, लखीमपुर खीरी, जालौन, अमरोहा, मुरादाबाद, पीलीभीत, रायबरेली आदि जिलों में भी कार्यक्रम हुए।

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