नई दिल्ली: देश के प्रमुख मुस्लिम संगठनों एवं धर्मगुरुओं ने कोरोना वायरस की महामारी के मद्देनजर अपने समुदाय के लोगों से अपील की है कि वे बुधवार रात शब-ए-बारात के मौके पर दुआ के लिए कब्रिस्तान नहीं जाएं और घर पर रहकर ही इबादत एवं दुआ करें।
इस बार शब-ए-बारात 8-9 अप्रैल की रात है। इस्लामी कैलेंडर में इस रात को पवित्र माना जाता है और इस मौके पर लोग मस्जिदों में इबादत करते हैं और अपने दिवंगत परिजन एवं रिश्तेदारों के लिए दुआ मांगने कब्रिस्तान जाते हैं।
देश के प्रमुख मुस्लिम संगठनों एवं धर्मगुरुओं ने कोरोना वायरस की महामारी के मद्देनजर अपने समुदाय के लोगों से अपील की है कि वे बुधवार रात शब-ए-बारात के मौके पर दुआ के लिए कब्रिस्तान नहीं जाएं और घर पर रहकर ही इबादत एवं दुआ करें।
इस बार शब-ए-बारात 8-9 अप्रैल की रात है। इस्लामी कैलेंडर में इस रात को पवित्र माना जाता है और इस मौके पर लोग मस्जिदों में इबादत करते हैं और अपने दिवंगत परिजन एवं रिश्तेदारों के लिए दुआ मांगने कब्रिस्तान जाते हैं। जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के महासचिव मौलाना महमूद मदनी, मुस्लिम इत्तेहाद परिषद के प्रमुख मौलाना तौकीर रजा, दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जफरुल इस्लाम खान और फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम मुफ्ती मुकर्रम अहमद की तरफ से अपील जारी की गई है।
कई दूसरे संगठनों ने भी अपील का समर्थन किया है। उन्होंने एक बयान में कहा कि कोरोना वायरस महामारी का रूप ले चुका है और भारत में 4000 हजार से अधिक लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं।
इसको देखते हुए मस्जिदों में रोजाना और जुमे की नमाज बंद हो गयी हैं। उन्होंने कहा, '' हम सभी मुसलमानों से अपील करते हैं कि वो शब-ए-बारात पर घर पर ही रहकर इबादत करें। वो दुआ के लिए कब्रिस्तान नहीं जाएं और घर पर रहकर ही दुआ करें।''
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