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कोरोना पर 24 घंटे में पोर्टल और एक्सपर्ट्स कमेटी बनाने का सरकार को निर्देश

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से 24 घंटे के भीतर कोरोना वायरस पर सूचना के लिए एक पोर्टल और एक्सपर्ट्स की कमेटी का गठन करने को कहा है ताकि फर्जी खबरों के जरिए फैलाई जा रही दहशत को रोका जा सके। बता दें कि लॉकडाउन के बीच मजदूरों के पलायन को लेकर वकील एए अलख की ओर से दायर याचिका पर सोमवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दहशत और डर की वजह से पलायन बड़ी समस्या बन रहा है। याचिका पर कोर्ट ने केंद्र से आज जवाब दाखिल करने के लिए कहा था।

मामले पर मंगलवार को सुनवाई के दौरान केंद्र की तरफ से कोर्ट में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अंतरराज्यीय आवाजाही पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। 22 लाख 88 हजार से अधिक लोगों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। ये जरूरतमंद व्यक्ति, प्रवासी और दिहाड़ी मजदूर हैं। उन्हें शेल्टर होम्स में रखा गया है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की वजह से दहशत का हल निकालने के लिए परामर्श प्रदान करने पर विचार कर रहे हैं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि वह सरकारी वकीलों को बताए कि वे हाई कोर्ट को शीर्ष अदालत द्वारा पारित आदेशों के बारे में सूचित करें।

कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार शेल्टर होम्स में रखे गए लोगों को समझाए। इसके लिए काउंसर या धर्मों के नेता को लेकर समझाया जाए कि वायरस जीवन के लिए कितना खतरनाक है। मजदूरों के पलायन को रोका जाए। उनके भोजन और मेडिकल सुविधाओं का ध्यान रखा जाए और वायरस के मामलों का भी पालन किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासियों के मुद्दे को हाई कोर्ट में उठाने पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि वे इस मुद्दे की अधिक बारीकी से निगरानी कर सकते हैं। पीठ ने केंद्र से यह सुनिश्चित करने के लिए भी कहा कि शेल्टर होम्स में प्रवासियों की जिम्मेदारी वॉलिंटियर्स संभाले, न कि पुलिस वहां हो। उनके साथ किसी बल या धमकी का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।

लॉकडाउन के चलते शहरों में काम करने वाले गरीब और पैदल ही अपने गांव और शहर की ओर निकल रहे हैं। घर वापस जा रहे लोगों की माने तो इनके सामने सबसे बड़ी समस्या खाने और रहने की है, क्योंकि लॉकडाउन की वजह से कंपनियों में काम ठप हो गया है। अब इनके पास न तो खाने के लिए पैसे हैं और न ही रहने के लिए, ऐसे में इनके पास घर जाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है। हालांकि राज्य सरकारें इनकी मदद के लिए आगे आईं हैं। कई जगहों पर राहत शिविर भी तैयार किए जा रहे हैं।

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